फिर गेम शुरू हुआ अब दोनों में से एक को नंगी होना था।
इस गेम में नेहा हार गई और रीटा ने उसे नंगा कर दिया और लेटा दिया।
रीटा ने नेहा की टाँगे फैला कर उसकी चूत में ऊँगली दाल दी। नेहा की हालत बुरी थी और उससे ज्यादा मेरी ये सब देख कर।
नेहा की आँखे बंद थी और वो मुह से आअहओअअह आवाजे निकाल रही थी। रीटा ने मुझे बुलाया और मैं नेहा की चुद को चूसने लगा।
जैसे ही मेने जीभ लगाईं नेहा ने झटके से मुझे दूर कर दिया। ये सब गलत है और उठ कर बाथरूम में चली गयी।
रीटा : अपना ये प्लान तो चौपट हो गया।
मैं : नहीं मेरी जान, उसने गेम बंद करने को नहीं कहा ना उसने तुझे कुछ करने से रोका। वो भाई बहन की वजह से ये कर रही है।
रीटा : फिर क्या करे?
मेने रीटा को एक लम्बा किस किया और उसे मेरी आगे की योजना बता दी।
2 मिनट बाद नेहा बाथरूम से बाहर आ गई। हम दोनों अपनी जगह पर थे।
रीटा : नेहा आजा आखरी चाल है, अगर मैं हारी तो एक और होगी।
नेहा : अगर हम दोनों में से कोई हार गया तो?
रीटा : जो हारा वो गुलामी करेगा।
नेहा : मतलब?
रीटा : वो कल 11 बजे तक नंगा ही रहेगा और जीतने वाले की हर बात मानेगा।
मैं : नंगा सिर्फ एक क्यों? कपडे तो सब हार गए है और तीनो एक दुसरे को नंगा भी देख चुके है इसलिए सभी नंगे रहेगे।
रीटा : मैं अभी पूरी नंगी नहीं हुई हु फिर भी तेरी बात सही है।
गेम फिर से शुरू हुआ और अबकी बार रीटा हार गयी और नेहा जीत गई।
नेहा ने रीटा की पेंटी उतार दी और बोली : ले हो गयी नंगी, बड़ी बाते बना रही थी।
नेहा : अरे तेरी झांटे नहीं है क्या?
रीटा : आज ही साफ़ की है मेरी जान मुझे तेरी तरह जंगल पसंद नहीं।
नेहा : जंगल किधर है सिर्फ मैं पूरे साफ़ नहीं करती।
रीटा : क्यों ?
नेहा : कटने का डर लगता है इसलिए।
मैं गेम शुरू करे। वो दोनों अपनी जगह पे बैठ गयी।
इस बार जैसा मैं चाहता था रीटा जीती और मैं हार गया।
अब सब कुछ मेरे हिसाब से हो रहा था।
रीटा - अब तू मुझे मेमसाब बोलेगा और झुक के सलाम करेगा।
मेने जैसा उसने कहा वैसे ही किया।
नेहा - मुझे प्यास लगी है पानी ले कर आ।
मैं - खुद ले ले मैं तेरा नौकर नहीं हु।
नेहा - ये क्या बात हुई ये (वो कुछ बोलती उससे पहले रीटा ने बोला)
रीटा - मेहमान से ऐसे नहीं पेश आते जा पानी ले आ।
मेने पानी ला दिया।
नेहा - देखा बच्चू हमारी बात मनानी पड़ी ना।
मैं - रहने दे मेने जो किया वो मेमसाब का हुकुम था तेरा नहीं।
नेहा का मुह उतर गया और वो नाराज हो गई
मैं- मैं तेरे लिए कुछ भी नहीं करने वाला।
रीटा - बहुत बोलता है साले? अब तू नेहा के पैर दबाएगा और वो भी कंधे पर रख कर।
नेहा - हाँ बड़ा दर्द हो रहा था इतनी देर से बैठी हुई थी ना।
मैं जमीन पर बैठ गया और उसका राईट साइड का पैर अपने लेफ्ट कंधे पर रख लिया। ऐसा करने से वो अधलेटी सी हो गई और उसकी एक टांग मेरे कंधे पर और दूसरी सोफे से नीचे लटकी हुई थी। जिससे उसकी चूत खुल गई और बिलकुल मेरी आँखों के सामने आ गई, वो बिन चुदी चूत जिसपे हल्के हल्के भूरे से छोटे छोटे बाल थे और उसमे से निकलता रस उसकी चूत को सुन्दर और मेरे लंड को उतावला किये जा रहा था।
मैं जीभ निकाल के अपने सूखे हुए होठो को गीला करने की कोशिश कर रहा था।
नेहा - वाह मजा आ गया। तुझे बड़ा अच्छा दबाना आता है।
रीटा - जरा ऊपर तक दबा क्या घुटने तक दबा रहा है।
ये सुन कर नेहा ने आँखे खोली और मुझे देखा, मैं अभी भी जीभ फिरा रहा था और उसने अपनी हालत देखी। उसको समझ आ गया ये सब मैं उसकी चूत देखकर कर रहा हु।
नेहा - रहने दे
रीटा - क्यों क्या हुआ
नेहा - ऐसे में कमर में दर्द होने लगा है? ( उसने बहाना मारा)
रीटा- कोई ना इसका भी इलाज है मेरे पास।
नेहा - क्या ?
रीटा - सेवक तू जा और मेरे बेड के पास जो कालीन बिछ रहा है वो लाकर इधर बिछा दे।
मेने रीटा के आदेश की पालना करी
रीटा - अब रसोई में जा कर एक कटोरी में सरसों का तेल ले आ। मैं वो ले आया।
रीटा - नेहा तू लेट जा पेट के बल। यह कहते हुए रीटा कड़ी हो गई जिससे नेहा ने सोचा रीटा उसकी मालिश करेगी।
नेहा उलटी लेट गई और रीटा ने मुझे इशारा किया।
मेने नेहा की पीठ पर तेल डाला और उसकी पीठ पर जैसे ही हाथ रखे उसके पूरे बदन में कंपकपी छुट गई (मैं समझ गया वो सही में कुंवारी है )
अब मेने उसकी पीठ पर मालिश शुरू कर दी नेहा आँखे बंद कर के लेती हुई थी।
नेहा - वाह मजा आ गया क्या बात है
रीटा : जान अभी तो मजा आना बाकि है
नेहा : हाँ अभी तो गुलामी के कई घंटे बाकि है।
मैं चुपचाप उसकी मालिश कर रहा था। मेने अपने हाथ धीरे धीरे निचे की तरफ ले जाने शुरू किये और अपने हाथ उसकी मस्त गदराई हुई गांड तक ले गया। नेहा के पुरे बदन में सुरसुरी छुट गई।
नेहा : पहले ऊपर की तरफ तो सही से कर फिर निचे जाना।
मेने भी यही सही समझा और उसके हाथ की मालिश करने लगा। अभी तक उसके हाथ उसके बदन से चुपके हुए थे पर जैसे ही मेने उसके हाथ को पकड़ के मालिश करने के लिए उठाया तो उसके बोबे के दर्शन हुए जो दबा हुआ था और साइड से बहार निकल रहा था। मैं उसके बोबे को देखता ही रह गया। मेरे हाथ उसके हाथ पर चल रहे थे और नजर बोबे पे थी। रीटा की नजर उसकी बगल पे पड़ी और वो नेहा से पूछने लगी।
रीटा : नेहा तेरी बगल बिलकुल साफ है इधर बाल नहीं आते क्या?
नेहा : यार आज ही पुरे बदन की सफाई की है।
रीटा : तो फिर चूत पे से क्यों साफ नहीं किये।
नेहा : वो अभी छोटे ही थे न इसलिए .
उनकी ये बाते सुनकर मुझे ये यकीन हो गया मेरा प्लान काम कर रहा है और नेहा भी खुल के बात कर रही और मेरे होने का अहसास नहीं रहा उसे अब।
मेने अब उसके दूसरी तरफ गया और उसके दुसरे हाथ की मालिश करने लगा। रीटा बिलकुल मेरे बगल में थी। उसने मुझे एक छोटा सा लिप किस दिया और फिर खड़ी हो गई। मुझे लगा वो कुछ लेने जा रही होगी पर उसने अपना एक बोबा मेरे मुह में दे दिया। मैं उसका बोबा चूस रहा था और नेहा की मालिश कर रहा था। थोड़ी देर बाद मेने अपने मुह से बोबा निकाल दिया और नेहा की और देखा वो अभी भी आंखे बंद कर के मालिश मजे ले रही थी। मैं अब उसकी पीठ पर आ गया मेरे पूरा वजन अपने घुटनों पर था और दोनों घुटने नेहा की कमर के दोनों तरफ थे। अब मैं नेहा की साइड पे मालिश करने लगा और उसके बोबो को साइड से मसलने लगा इससे नेहा गरम होने लगी और सिस्कारिया लेने लगी।
नेहा : अह्ह्ह उह्ह्ह आह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ
ये सब सुन कर मेरी रंडी रीटा की चूत कुलबुला उठी और वो मेरे सामने की तरफ कड़ी हो गई उसकी भी दोनों टाँगे नेहा के दोनों तरफ थी पर उसकी चूत बिलकुल मेरे मुह के पास थी जिसमे से निकलता हुआ पानी की गंध मुझे पागल कर रही थी रीटा ने अपनी चूत मेरे मुह से छू दी और मेने भी जीभ निकाल के चाटनी शुरू कर दी। अब मेरे हाथ नेहा के बूब्स से खेल रहे थे और जीभ रीटा की चूत से, मैं सातवे आसमान पे था। दो मिनट ऐसे ही चला की रीटा ने मेरे सर पकड के चूत में दबा दिया मैं समझ गया वो झरने वाली है मेने मुह खोलकर उसका पूरा पानी पी लिया। रीटा संतुष्ट हो कर हट गई और सोफे पे बैठ गई। मेरे लंड का बहुत बुरा हाल था ऐसा लग रहा था की वो फट ही जायेगा। अब मेने ज्यादा देर करना सही नहीं समझा और निचे की तरफ गया। पहले उसकी टांगो पे हाथ फेरा और फिर उसकी गांड पे आ गया। मेरे हाथ नेहा की मस्त गदराई गांड को मसल रहे थे पर मेने अभी तक कुछ नहीं किया था। फिर मेने दो ऊँगली ले कर दरार में फिरने लगा। नेहा की सिस्कारिया फिर शुरू हो गई मेने ये ध्यान रखा की कही उसकी गांड के छेड़ में ऊँगली न चली जाये वर्ना जैसा हाल रीटा के समय हुआ था वही हो जायेगा। नेहा ने अपनी टाँगे खोल दी और मेने अपनी ऊँगली उसकी चूत तक पंहुचा दी। मेरी ऊँगली के छुते ही नेहा जैसे नींद से जागी। वो बोली बस और नहीं।
रीटा : चल आगे की रह गई घूम जा अब आगे की मालिश करवाले।
मैं नेहा के दूर हट गया था। नेहा घुमि और सीधे लेट गई, उसकी कसी हुई चूत और उसके बूब्स के खड़े निप्पल ये बता रहे थे की वो कितनी ज्यादा चुदाई चाहती है। मैं तो बस उसके बदन को निहार रहा था रीटा ने मुझे छेड़ा।
रीटा : ओ लोडू क्या उधर खड़ा होकर घूर रहा है।
नेहा जोर से हसने लगी और मैं झेप गया।
रीटा : चल मालिश शुरू कर बे लोडू।
नेहा : नहीं मैं इससे नहीं करवा मालिश
रीटा : ओ महारानी अभी तक भी तो कामुक कामुक सिस्कारिया ले कर करवा रही थी ना।
नेहा : तो क्या ये मेरी कर रहा था।
रीटा : हाँ अब नाटक मत कर और करवा ले समझी।
नेहा ने कुछ नहीं बोला और मैं आगे बड़ा। मैं नेहा के सर पे आ कर बैठ गया और उसके पेट की मसाज करने लगा। मेरा लंड उसके गालो और मुह पे दस्तक दे रहा था अभी इसकी जगह रीटा होती तो खा ही जाती और नेहा अपना मुह बचा रही थी। मेने उसके पेट पर गुदगुदी की जिससे उसका मुह खुल गया और मेरा लंड उसके मुह में था। रीटा ने ये देख कर ताली बजानी शुरू कर दी पर नेहा ने कोशिश करके लंड मुह से बाहर निकल दिया।
नेहा : सॉरी गलती से हो गया।
मैं : सॉरी मेरी गलती है।
मैं अब खड़ा हुआ और रीटा को इशारे से जाने के लिए बोल दिया। रीटा उठ कर बाथरूम में चली गयी और मैं नेहा की टांगो के बीच में बैठ गया। नेहा की दोनों टांगो को अपने एक एक कंधे पर रख लिया जिससे उसकी गांड मेरी जांघ पे आ गई और लंड चूत में बस इतनी ही दूरी थी की मुझे हल्का सा आगे होना था और दोनों का मिलन था। मेने नेहा की जांघो की मालिश करते वक़्त अपना हाथ इस तरह से फिराया की मेरा हाथ उसकी चूत के पास से गुजर रहा पर उसे छु नहीं रहा था ऐसे करने से उसकी चूत में चीटिया रेगने लगी और वो खुद पर काबू नहीं कर पा रही थी।
नेहा : थोडाआआ सआया आआगे काआअर
मैं : क्या बोला ( मैं उसकी बात समझ गया था पर मैं उसकी शर्म ख़त्म करना चाहता था )
नेहा : ऊपर कर ऊपर
मैं : ठीक है।।।।।
मेने अपने हाथ अब नेहा के पेट पर रख दिए और झुक कर हाथो को उसके बूब्स पे निचे से ऊपर फिरने लगा। नेहा की चूत में आग लगी थी लंड की आग और उसमे घी जा रहा था, मेरा लंड बिलकुल उसकी छुट के ऊपर था और जैसे ही मैं अपने हाथ ऊपर निचे कर रहा था मेरा लंड उसकी चूत पे रगड़ खा रहा था जिससे नेहा की हालत ख़राब हो रही थी।
नेहा अब कुछ न कुछ बडबडा रही थी जो उसके मुह से भी बहार नहीं आ रहा था बस अज्जेब सी आवाजे आ रही थी और वो अपनी गांड को उठा कर पटक रही थी जैसे वो चुदाई मैं मेरा साथ दे रही हो। मुझे पता था की अब वो किसी भी वक़्त चुदने के लिए खुद बोल देगी। सो मैं उसी तरह चालू रहा और मैं सही था।
नेहा : अब रहा नहीं जा रहा चोद दे मुझे। फाड़ दे मेरी चूत भोसदा बना दे इसका।
ये सब सुनकर रीटा बाथरूम से बहार आने लगी मेने उसे इशारे से रुकने के लिए बोला।
अब मैं नेहा के ऊपर लेटा हुआ था और हम दोनों एक दुसरे को चूम रहे थे, चूम क्या रहे थे एक दुसरे के होठो को चबा रहे थे। ये वही नेहा थी जो अभी तक कुवारी है इस पर विश्वास करना मुश्किल था। इसलिए कहते हैं ना सेक्स की आग में इन्सान कुछ भी कर सकता है।
इस गेम में नेहा हार गई और रीटा ने उसे नंगा कर दिया और लेटा दिया।
रीटा ने नेहा की टाँगे फैला कर उसकी चूत में ऊँगली दाल दी। नेहा की हालत बुरी थी और उससे ज्यादा मेरी ये सब देख कर।
नेहा की आँखे बंद थी और वो मुह से आअहओअअह आवाजे निकाल रही थी। रीटा ने मुझे बुलाया और मैं नेहा की चुद को चूसने लगा।
जैसे ही मेने जीभ लगाईं नेहा ने झटके से मुझे दूर कर दिया। ये सब गलत है और उठ कर बाथरूम में चली गयी।
रीटा : अपना ये प्लान तो चौपट हो गया।
मैं : नहीं मेरी जान, उसने गेम बंद करने को नहीं कहा ना उसने तुझे कुछ करने से रोका। वो भाई बहन की वजह से ये कर रही है।
रीटा : फिर क्या करे?
मेने रीटा को एक लम्बा किस किया और उसे मेरी आगे की योजना बता दी।
2 मिनट बाद नेहा बाथरूम से बाहर आ गई। हम दोनों अपनी जगह पर थे।
रीटा : नेहा आजा आखरी चाल है, अगर मैं हारी तो एक और होगी।
नेहा : अगर हम दोनों में से कोई हार गया तो?
रीटा : जो हारा वो गुलामी करेगा।
नेहा : मतलब?
रीटा : वो कल 11 बजे तक नंगा ही रहेगा और जीतने वाले की हर बात मानेगा।
मैं : नंगा सिर्फ एक क्यों? कपडे तो सब हार गए है और तीनो एक दुसरे को नंगा भी देख चुके है इसलिए सभी नंगे रहेगे।
रीटा : मैं अभी पूरी नंगी नहीं हुई हु फिर भी तेरी बात सही है।
गेम फिर से शुरू हुआ और अबकी बार रीटा हार गयी और नेहा जीत गई।
नेहा ने रीटा की पेंटी उतार दी और बोली : ले हो गयी नंगी, बड़ी बाते बना रही थी।
नेहा : अरे तेरी झांटे नहीं है क्या?
रीटा : आज ही साफ़ की है मेरी जान मुझे तेरी तरह जंगल पसंद नहीं।
नेहा : जंगल किधर है सिर्फ मैं पूरे साफ़ नहीं करती।
रीटा : क्यों ?
नेहा : कटने का डर लगता है इसलिए।
मैं गेम शुरू करे। वो दोनों अपनी जगह पे बैठ गयी।
इस बार जैसा मैं चाहता था रीटा जीती और मैं हार गया।
अब सब कुछ मेरे हिसाब से हो रहा था।
रीटा - अब तू मुझे मेमसाब बोलेगा और झुक के सलाम करेगा।
मेने जैसा उसने कहा वैसे ही किया।
नेहा - मुझे प्यास लगी है पानी ले कर आ।
मैं - खुद ले ले मैं तेरा नौकर नहीं हु।
नेहा - ये क्या बात हुई ये (वो कुछ बोलती उससे पहले रीटा ने बोला)
रीटा - मेहमान से ऐसे नहीं पेश आते जा पानी ले आ।
मेने पानी ला दिया।
नेहा - देखा बच्चू हमारी बात मनानी पड़ी ना।
मैं - रहने दे मेने जो किया वो मेमसाब का हुकुम था तेरा नहीं।
नेहा का मुह उतर गया और वो नाराज हो गई
मैं- मैं तेरे लिए कुछ भी नहीं करने वाला।
रीटा - बहुत बोलता है साले? अब तू नेहा के पैर दबाएगा और वो भी कंधे पर रख कर।
नेहा - हाँ बड़ा दर्द हो रहा था इतनी देर से बैठी हुई थी ना।
मैं जमीन पर बैठ गया और उसका राईट साइड का पैर अपने लेफ्ट कंधे पर रख लिया। ऐसा करने से वो अधलेटी सी हो गई और उसकी एक टांग मेरे कंधे पर और दूसरी सोफे से नीचे लटकी हुई थी। जिससे उसकी चूत खुल गई और बिलकुल मेरी आँखों के सामने आ गई, वो बिन चुदी चूत जिसपे हल्के हल्के भूरे से छोटे छोटे बाल थे और उसमे से निकलता रस उसकी चूत को सुन्दर और मेरे लंड को उतावला किये जा रहा था।
मैं जीभ निकाल के अपने सूखे हुए होठो को गीला करने की कोशिश कर रहा था।
नेहा - वाह मजा आ गया। तुझे बड़ा अच्छा दबाना आता है।
रीटा - जरा ऊपर तक दबा क्या घुटने तक दबा रहा है।
ये सुन कर नेहा ने आँखे खोली और मुझे देखा, मैं अभी भी जीभ फिरा रहा था और उसने अपनी हालत देखी। उसको समझ आ गया ये सब मैं उसकी चूत देखकर कर रहा हु।
नेहा - रहने दे
रीटा - क्यों क्या हुआ
नेहा - ऐसे में कमर में दर्द होने लगा है? ( उसने बहाना मारा)
रीटा- कोई ना इसका भी इलाज है मेरे पास।
नेहा - क्या ?
रीटा - सेवक तू जा और मेरे बेड के पास जो कालीन बिछ रहा है वो लाकर इधर बिछा दे।
मेने रीटा के आदेश की पालना करी
रीटा - अब रसोई में जा कर एक कटोरी में सरसों का तेल ले आ। मैं वो ले आया।
रीटा - नेहा तू लेट जा पेट के बल। यह कहते हुए रीटा कड़ी हो गई जिससे नेहा ने सोचा रीटा उसकी मालिश करेगी।
नेहा उलटी लेट गई और रीटा ने मुझे इशारा किया।
मेने नेहा की पीठ पर तेल डाला और उसकी पीठ पर जैसे ही हाथ रखे उसके पूरे बदन में कंपकपी छुट गई (मैं समझ गया वो सही में कुंवारी है )
अब मेने उसकी पीठ पर मालिश शुरू कर दी नेहा आँखे बंद कर के लेती हुई थी।
नेहा - वाह मजा आ गया क्या बात है
रीटा : जान अभी तो मजा आना बाकि है
नेहा : हाँ अभी तो गुलामी के कई घंटे बाकि है।
मैं चुपचाप उसकी मालिश कर रहा था। मेने अपने हाथ धीरे धीरे निचे की तरफ ले जाने शुरू किये और अपने हाथ उसकी मस्त गदराई हुई गांड तक ले गया। नेहा के पुरे बदन में सुरसुरी छुट गई।
नेहा : पहले ऊपर की तरफ तो सही से कर फिर निचे जाना।
मेने भी यही सही समझा और उसके हाथ की मालिश करने लगा। अभी तक उसके हाथ उसके बदन से चुपके हुए थे पर जैसे ही मेने उसके हाथ को पकड़ के मालिश करने के लिए उठाया तो उसके बोबे के दर्शन हुए जो दबा हुआ था और साइड से बहार निकल रहा था। मैं उसके बोबे को देखता ही रह गया। मेरे हाथ उसके हाथ पर चल रहे थे और नजर बोबे पे थी। रीटा की नजर उसकी बगल पे पड़ी और वो नेहा से पूछने लगी।
रीटा : नेहा तेरी बगल बिलकुल साफ है इधर बाल नहीं आते क्या?
नेहा : यार आज ही पुरे बदन की सफाई की है।
रीटा : तो फिर चूत पे से क्यों साफ नहीं किये।
नेहा : वो अभी छोटे ही थे न इसलिए .
उनकी ये बाते सुनकर मुझे ये यकीन हो गया मेरा प्लान काम कर रहा है और नेहा भी खुल के बात कर रही और मेरे होने का अहसास नहीं रहा उसे अब।
मेने अब उसके दूसरी तरफ गया और उसके दुसरे हाथ की मालिश करने लगा। रीटा बिलकुल मेरे बगल में थी। उसने मुझे एक छोटा सा लिप किस दिया और फिर खड़ी हो गई। मुझे लगा वो कुछ लेने जा रही होगी पर उसने अपना एक बोबा मेरे मुह में दे दिया। मैं उसका बोबा चूस रहा था और नेहा की मालिश कर रहा था। थोड़ी देर बाद मेने अपने मुह से बोबा निकाल दिया और नेहा की और देखा वो अभी भी आंखे बंद कर के मालिश मजे ले रही थी। मैं अब उसकी पीठ पर आ गया मेरे पूरा वजन अपने घुटनों पर था और दोनों घुटने नेहा की कमर के दोनों तरफ थे। अब मैं नेहा की साइड पे मालिश करने लगा और उसके बोबो को साइड से मसलने लगा इससे नेहा गरम होने लगी और सिस्कारिया लेने लगी।
नेहा : अह्ह्ह उह्ह्ह आह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ
ये सब सुन कर मेरी रंडी रीटा की चूत कुलबुला उठी और वो मेरे सामने की तरफ कड़ी हो गई उसकी भी दोनों टाँगे नेहा के दोनों तरफ थी पर उसकी चूत बिलकुल मेरे मुह के पास थी जिसमे से निकलता हुआ पानी की गंध मुझे पागल कर रही थी रीटा ने अपनी चूत मेरे मुह से छू दी और मेने भी जीभ निकाल के चाटनी शुरू कर दी। अब मेरे हाथ नेहा के बूब्स से खेल रहे थे और जीभ रीटा की चूत से, मैं सातवे आसमान पे था। दो मिनट ऐसे ही चला की रीटा ने मेरे सर पकड के चूत में दबा दिया मैं समझ गया वो झरने वाली है मेने मुह खोलकर उसका पूरा पानी पी लिया। रीटा संतुष्ट हो कर हट गई और सोफे पे बैठ गई। मेरे लंड का बहुत बुरा हाल था ऐसा लग रहा था की वो फट ही जायेगा। अब मेने ज्यादा देर करना सही नहीं समझा और निचे की तरफ गया। पहले उसकी टांगो पे हाथ फेरा और फिर उसकी गांड पे आ गया। मेरे हाथ नेहा की मस्त गदराई गांड को मसल रहे थे पर मेने अभी तक कुछ नहीं किया था। फिर मेने दो ऊँगली ले कर दरार में फिरने लगा। नेहा की सिस्कारिया फिर शुरू हो गई मेने ये ध्यान रखा की कही उसकी गांड के छेड़ में ऊँगली न चली जाये वर्ना जैसा हाल रीटा के समय हुआ था वही हो जायेगा। नेहा ने अपनी टाँगे खोल दी और मेने अपनी ऊँगली उसकी चूत तक पंहुचा दी। मेरी ऊँगली के छुते ही नेहा जैसे नींद से जागी। वो बोली बस और नहीं।
रीटा : चल आगे की रह गई घूम जा अब आगे की मालिश करवाले।
मैं नेहा के दूर हट गया था। नेहा घुमि और सीधे लेट गई, उसकी कसी हुई चूत और उसके बूब्स के खड़े निप्पल ये बता रहे थे की वो कितनी ज्यादा चुदाई चाहती है। मैं तो बस उसके बदन को निहार रहा था रीटा ने मुझे छेड़ा।
रीटा : ओ लोडू क्या उधर खड़ा होकर घूर रहा है।
नेहा जोर से हसने लगी और मैं झेप गया।
रीटा : चल मालिश शुरू कर बे लोडू।
नेहा : नहीं मैं इससे नहीं करवा मालिश
रीटा : ओ महारानी अभी तक भी तो कामुक कामुक सिस्कारिया ले कर करवा रही थी ना।
नेहा : तो क्या ये मेरी कर रहा था।
रीटा : हाँ अब नाटक मत कर और करवा ले समझी।
नेहा ने कुछ नहीं बोला और मैं आगे बड़ा। मैं नेहा के सर पे आ कर बैठ गया और उसके पेट की मसाज करने लगा। मेरा लंड उसके गालो और मुह पे दस्तक दे रहा था अभी इसकी जगह रीटा होती तो खा ही जाती और नेहा अपना मुह बचा रही थी। मेने उसके पेट पर गुदगुदी की जिससे उसका मुह खुल गया और मेरा लंड उसके मुह में था। रीटा ने ये देख कर ताली बजानी शुरू कर दी पर नेहा ने कोशिश करके लंड मुह से बाहर निकल दिया।
नेहा : सॉरी गलती से हो गया।
मैं : सॉरी मेरी गलती है।
मैं अब खड़ा हुआ और रीटा को इशारे से जाने के लिए बोल दिया। रीटा उठ कर बाथरूम में चली गयी और मैं नेहा की टांगो के बीच में बैठ गया। नेहा की दोनों टांगो को अपने एक एक कंधे पर रख लिया जिससे उसकी गांड मेरी जांघ पे आ गई और लंड चूत में बस इतनी ही दूरी थी की मुझे हल्का सा आगे होना था और दोनों का मिलन था। मेने नेहा की जांघो की मालिश करते वक़्त अपना हाथ इस तरह से फिराया की मेरा हाथ उसकी चूत के पास से गुजर रहा पर उसे छु नहीं रहा था ऐसे करने से उसकी चूत में चीटिया रेगने लगी और वो खुद पर काबू नहीं कर पा रही थी।
नेहा : थोडाआआ सआया आआगे काआअर
मैं : क्या बोला ( मैं उसकी बात समझ गया था पर मैं उसकी शर्म ख़त्म करना चाहता था )
नेहा : ऊपर कर ऊपर
मैं : ठीक है।।।।।
मेने अपने हाथ अब नेहा के पेट पर रख दिए और झुक कर हाथो को उसके बूब्स पे निचे से ऊपर फिरने लगा। नेहा की चूत में आग लगी थी लंड की आग और उसमे घी जा रहा था, मेरा लंड बिलकुल उसकी छुट के ऊपर था और जैसे ही मैं अपने हाथ ऊपर निचे कर रहा था मेरा लंड उसकी चूत पे रगड़ खा रहा था जिससे नेहा की हालत ख़राब हो रही थी।
नेहा अब कुछ न कुछ बडबडा रही थी जो उसके मुह से भी बहार नहीं आ रहा था बस अज्जेब सी आवाजे आ रही थी और वो अपनी गांड को उठा कर पटक रही थी जैसे वो चुदाई मैं मेरा साथ दे रही हो। मुझे पता था की अब वो किसी भी वक़्त चुदने के लिए खुद बोल देगी। सो मैं उसी तरह चालू रहा और मैं सही था।
नेहा : अब रहा नहीं जा रहा चोद दे मुझे। फाड़ दे मेरी चूत भोसदा बना दे इसका।
ये सब सुनकर रीटा बाथरूम से बहार आने लगी मेने उसे इशारे से रुकने के लिए बोला।
अब मैं नेहा के ऊपर लेटा हुआ था और हम दोनों एक दुसरे को चूम रहे थे, चूम क्या रहे थे एक दुसरे के होठो को चबा रहे थे। ये वही नेहा थी जो अभी तक कुवारी है इस पर विश्वास करना मुश्किल था। इसलिए कहते हैं ना सेक्स की आग में इन्सान कुछ भी कर सकता है।
LODE LOG JUGAR ME KHUD KI BHOSDIYA DAAV PE LAGATE HEY MADARCHOD KHIKE
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