Tuesday 31 March 2015

Mere Gao Ki Ladki Ki Chudai Part-9

पंडित जी इन्हे आँखे फाड़ फाड़ के देख रहे थे. सावित्री जो पंडित जी जांघों पर बैठी थी उसके एक कूल्हे से पंडित जी का लंड रगर खा रहा था जिसके वजह से वह लंड की गर्मी को महसूस कर रही थी और इसके साथ ही साथ उसके शरीर मे एक मदहोशी भी छा रही थी. पंडित जी की साँसे जो तेज़ चल रही थी खड़ी चुचिओ को देखकर मानो बढ़ सी गयी. फिर पंडित जी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और सावित्री के नंगी चुचिओ पर रख ही दिया. सावित्री को लगा की उसकी बुर से कोई चीज़ निकल जाएगी. फिर दोनो चुचिओ को बैठे बैठे ही मीज़ना सुरू कर दिया. अब सावित्री जो अपनी आँखे शर्म से बंद की थी अब उसकी आँखे खुद ही बंद होने लगी मानो कोई नशा छाता जा रहा हो उसके उपर. अब उसे आँखे खोलकर देखना काफ़ी मुस्किल लग रहा था. इधेर पंडित जी दोनो चुचिओ को अपने दोनो हाथो से मीज़ना चालू कर दिया. सावित्री जो पूरी तरह से नंगे हो चुके पंडित जी की एक जाँघ मे बैठी थी अब धीरे धीरे उनकी गोद मे सरक्ति जा रही थी. सावित्री के सरीर मे केवल सलवार और चड्डी रह गयी थी. सावित्री का पीठ पंडित जी के सीने से सटने लगा था. सावित्री को उनके सीने पर उगे बॉल अपनी पीठ से रगड़ता साफ महसूस हो रहा था. इससे वह सिहर सी जाती थी लेकिन पंडित जी की चुचिओ के मीज़ने से एक नशा होने लगा था और आँखे बंद सी होने लगी थी. बस उसे यही मालूम देता की पंडित जी पूरी ताक़त से और जल्दी जल्दी उसकी चुचियाँ मीज़ रहे हैं और उनकी साँसे काफ़ी तेज चल रही हैं. अगले पल कुछ ऐसा हुआ जिससे सावित्री कुछ घबरा सी गयी क्योंकि उसे ऐसा महसूस हुआ कि उसकी बुर से कोई गीला चीज़ बाहर आना चाह रहा हो. जिसके बाहर आने का मतलब था कि उसकी चड्डी और सलवार दोनो ही खराब होना. उसने अपनी बंद हो रही आँखो को काफ़ी ज़ोर लगा कर खोली और फिर पंडित जी की गोद मे कसमसा कर रह गयी क्योंकि पंडित जी अब सावित्री को कस पकड़ चुके थे और चुचिओ को बुरी तरह से मीज़ रहे थे. अभी यही सावित्री सोच रही थी कि आख़िर वह पंडित जी से कैसे कहे की उसकी बुर मे कुछ निकलने वाला है और उससे उसकी चड्डी और सलवार खराब हो जाएगी. यह सावित्री के सामने एक नयी परेशानी थी. उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था.पंडित जी का प्रभावशाली व्यक्तित्व और कड़क मिज़ाज़ के डर से उनसे कुछ बोलने की हिम्मत नही थी. सावित्री को आज यह भी मालूम हो गया था कि लक्ष्मी चाची भी उनसे बच नही पाई थी. वह यही अफ़सोस कर रही थी की पहले ही उसने सलवार और चड्डी निकाल दी होती तो उसके कपड़े खराब ना होते. लेकिन वह यह भी सोचने लगी की उसे क्या मालूम की उसकी बुर से कुछ गीला चीज़ निकलने लगेगा और दूसरी बात यह की उसे लाज़ भी लग रहा था पंडित जी से. इसी बातों मे उलझी ही थी की पंडित जी का एक हाथ सावित्री के नाभि के पास से फिसलता हुआ सलवार के नडे के पास से सलवार के अंदर जाने लगा. चुचिओ के बुरी तरह मसले जाने के वजह से हाँफ रही सावित्री घबरा सी गयी फिर वैसे ही पंडित जी के गोद मे बैठी रही. पंडित जी का ये हाथ मानो कुछ खोज रहा हो और सावित्री के दोनो जाँघो के बीच जाने की कोशिस कर रहा था. सलवार का जरवाँ के कसे होने के वजह से हाथ आसानी से सलवार के अंदर इधेर उधर घूम नहीं पा रहा था. पंडित जी के हाथ के कलाई के पास के घने बॉल सावित्री के नाभि पर रगड़ रहे थे. पंडित जी की उंगलियाँ सलवार के अंदर चड्डी के उपर ही कुछ टटोल रही थी लेकिन उन्हे चड्डी मे दबे सावित्री की घनी झांते ही महसूस हो सकी. लेकिन यह बात पंडित जी को चौंका दी क्योंकि उन्हे लगा कि सावित्री के चड्डी काफ़ी कसी है और उसकी झांते काफ़ी उगी है जिससे चड्डी मे एक फुलाव बना लिया है. सलवार का जरवाँ कसा होने के वजह से पंडित जी का हाथ और आगे ना जा सका फिर उन्होने हाथ को कुछ उपर की ओर खींचा और फिर सलवार के अंदर ही चड्डी मे घुसाने की कोसिस की और चड्डी के कमर वाली रबर कसी होने के बावजूद पंडित जी की कुछ उंगलियाँ सावित्री के चड्डी मे घुस गयी और आगे घनी झांतों मे जा कर फँस गयी. पंडित जी का अनुमान सही निकला कि चड्डी के उपर से जो झांटें घनी लग रही थी वह वास्तव मे काफ़ी घनी और मोटे होने के साथ साथ आपस मे बुरी तरह से उलझी हुई थी. पंडित जी की उंगलियाँ अब सावित्री के झांतो को सहलाते हुए फिर आगे की ओर बढ़ने की कोसिस की लेकिन कमर के पास सलवार का जरवाँ कसे होने के वजह से ऐसा नही हो पाया.


सलवार और चड्डी के अंदर पंडित जी के हाथों के हरकत ने सावित्री की परेशानी और बढ़ा दी क्योंकि जो गीला चीज़ बुर से निकलने वाला था अब बुर के मुँह पर लगभग आ गया था. तभी एक राहत सी हुई क्योंकि अब पंडित जी का हाथ चड्डी से बाहर आ कर सलवार के जरवाँ के गाँठ को खोलने लगा और जरवाँ के खुलते ही पंडित जी के हाथ जैसे ही सलवार निकालने के लिए सलवार को ढीला करने लगे सावित्री ने भी अपने चौड़े चूतड़ को पंडित जी के गोद मे बैठे ही बैठे कुछ हवा मे उठाई ताकि सलवार को चूतदों के नीचे से सरकया जा सके और जाँघो से सरकाते हुए निकाला जा सके. पंडित जी ने मौका पाते ही सलवार को सरकाते हुए निकाल कर फर्श पर फेंक दिया. अब सावित्री दुबारा जब पंडित जी की गोद मे बैठी तब केवल चड्डी मे थी और उसकी जंघे भी नगी हो चुकी थी. बैठे ही बैठे सावित्री ने अपने चड्डी के उपर से बुर वाले हिस्से को देखी तो चौंक गयी क्योंकि बुर से कुछ गीला चीज़ निकल कर बुर के ठीक सामने वाला चड्डी का हिस्से को भीगा दिया था. गोद मे बैठने के वजह से पंडित जी का फंफनता लंड भी सावित्री के कमर से रगड़ खा रहा था. सावित्री की नज़र ज्योन्हि लंड पर पड़ती उसे लगता कि अब मूत देगी.
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Monday 30 March 2015

Mere Gao Ki Ladki Ki Chudai Part-8

एकदम नंगे हो चुके पंडित जी का लंड अब पूरी तरीके से खड़ा था. जहाँ पंडित जी पूरे नंगे थे वहीं ग़रीब सावित्री अपने पूरे कपड़े मे थी और लाज़ का चदडार भी उसके पूरे जवान शरीर पर था. पंडित जी अपने पूरे आत्मविश्वासमे थे और उनका उद्देश्या उनको सॉफ दिख रहा था. अब वह सावित्री पर अंतिम हमले के तरफ बढ़ रहे थे. उन्होने देखा कि सावित्री लाज़ और डर से पूरी तरह दब गयी है और अब उन्हे अपना कदम काफ़ी मज़बूती से उठाना होगा. उन्होने एक लंबी सांस ली जिसकी आवाज़ सावित्री को भी सुनाई दी. वह समझ गयी कि अगले पल मे वह लूट जाएगी. क्योंकि पंडित जी अब उसके सपनो और इज़्ज़त को मिट्टी मे मिलाने के लिए तैयार हो गये हैं. उसके मन मे यह बात सॉफ थी कि वह आज अपनी इज़्ज़त नही बचा पाएगी. उसका मनोबल पंडित जी के प्रभावशाली और कड़क व्यक्तित्व के सामने घुटने टेक दिया था. अगले पल पंडित जी सामने बैठकर अपने चेहरे को घुटनों के बीच छुपाए सावित्री के पास आए और झुककर सावित्री के एक बाँह को अपने मज़बूत हाथों से पकड़कर उपर खड़ा करने लगे. अब सावित्री के पास इतनी हिम्मत नही थी कि वह विरोध कर सके पूरी तरह से टूट चुकी सावित्री को आख़िर खड़ा होना पड़ा. खड़ी तो हो गयी लेकिन अपना सिर को झुकाए हुए अपने नज़रों को एकदम से बंद कर रखी थी. अपने दोनो हाथों से दोनो चुचिओ को छिपा रखी थी जो की समीज़ मे थी और उसके उपर एक दुपट्टा भी था. पंडित जी की नज़रे सावित्री को सर से पैर तक देखने और उसकी जवान शरीर को तौलने मे लगी थी. समन्य कद की सावित्री जो गेहुअन और सवाले रंग की थी और शरीर भरा पूरा होने के वजह से चुचियाँ और चूतड़ एकदम से निकले हुए थे. पंडित जी नेअपनी नज़रों से तौलते हुए पूछा "लक्ष्मी के दूसरे बच्चे को देखी है" सावित्री का दिमाग़ मे अचानक ऐसे सवाल के आते ही हैरानी हुई कि पंडित जी लक्ष्मी चाची के दो बच्चो जिसमे एक 13 साल की लड़की और 5 साल का लड़का था और उसके लड़के के बारे मे क्यों पूछ रहे हैं. फिर भी इस मुसीबत के पलो मे उसने और भी कुछ सोचे बगैर बोली "जी". फिर पंडित जी ने पूछा "कैसा दिखता है वो" सावित्री के मन मे यह सवाल और कयि सवालों को पैदा कर दिया. आख़िर पंडित जी क्या पूछना चाहते हैं या क्या जानना चाहते हैं. उसे कुछ समझ मे नही आया और चुप चाप खड़ी रही. फिर पंडित जी का हाथ आगे बढ़ा और खड़ी सावित्री के दोनो हाथों को जो की चूचियो को छुपाएँ थी हटाने लगे. सावित्री अब मजबूर थी पंडित जी के सामने और आख़िर दोनो चुचिओ पर से साथ हट गये और दुपट्टा के नीचे दोनो चुचियाँ हाँफने के वजह से उपर नीचे हो रहीं थी. अब दुपट्टे पर ज्योहीं पंडित जी का हाथ गया सावित्री के शरीर का सारा खून सुख सा गया और कुछ सकपकाते हुए एक हाथ से पंडित जी का हाथ पकड़नी चाही थी की पंडित जी ने उसके दुपट्टे को हटा ही दिया और दोनो बड़ी बड़ी चुचियाँ अब समीज़ मे एकदम सॉफ उभार लिए दिख रहीं थी.
सावित्री का दुपट्टा फर्श पर गिर पड़ा. तभी पंडित जी ने सावित्री के दिमाग़ मे एक जबर्दाश्त विस्फोट किया "वह लड़का मेरे लंड से पैदा है समझी...!" यह सुनते ही सावित्री खड़े खड़े मानो लाश हो गयी थी. वह क्या सुनी उसे समझ नही आ रहा था. लक्ष्मी चाची को पंडित जी ने चोदा होगा. इन बातों को और सोचने का समय उसके पास अब नही था क्योंकि उसके उपर पंडित जी के हमले शुरू हो गये थे. अगले पल सावित्री के दिमाग़ मे लक्ष्मी चाची के चरित्रा पर एक प्रश्नचिन्ह्आ लगने ही लगे थे कि पंडित जी के हाथों मे सावित्री की गदराई चुचियाँ आ ही गयी और सावित्री को अपने चुचिओ पर समीज़ के उपर से ही पहली बार किसी मर्द का हाथ पड़ते ही उसे लगा की जांघों के बीच एक अज़ीब सी सनसनाहट फैल गयी हो. अचानक इस हमले से सावित्री का मुँहा खुल गया और एक "सी..सी" की आवाज़ निकली थी कि फिर पंडित जी ने दबाव बढ़ा कर मसलना शुरू कर दिया. चुचियाँ काफ़ी ठोस और कसी हुई थी. शरीर मांसल होने के वजह से काफ़ी गदरा भी गयी थी. पंडित जी ने एक एक कर दोनो चुचिओ को मसलना शुरू कर दिया. पंडित जी खड़े खड़े ही सावित्री की चुचिओ को मसल रहे थे और सावित्री भी जो चटाई के बगल मे फर्श पर खड़ी थी, उसे लगा की उसके पैर मे अब ताक़त ही नही है और गिर पड़ेगी. पंडित जी का एक हाथ तो चुचिओ को बारी बारी से मीस रहे थे और दूसरा हाथ खड़ी सावित्री के पीछे पीठ पर होते हुए उसे उसे पकड़ रखा था की चुचिओ वाले हाथ के दबाव से उसका सरीर इधेर उधेर ना हीले और एक जगह स्थिर रहे ताकि चुचिओ को ठीक से मीसा जा सके. पंडित जी ने खड़े खड़े ही सावित्री के शरीर को पूरी गिरफ़्त मे लेते हुए चुचिओ को इतना कस कस कर मीज रहे थे कि मानो समीज़ को ही फाड़ देंगे. तभी सावित्री की यह अहसास हुआ की उसके समीज़ जो उसके कसी हुई चुचिओ पर काफ़ी तंग थी लगभग फट जाएगी क्योंकि पंडित जी के हाथों से मीज़ रही चुचिओ के उपर का समीज़ का हिस्सा काफ़ी सिकुड और खीच जाता था. दूसरी बात ये भी थी की सावित्री का समीज़ काफ़ी पुराना था और पंडित जी के कस कस कर चुचिओ को मीजने से या तो समीज़ की सीवान उभड़ जाती या काफ़ी खींच जाने से फट भी सकती थी जो की सावित्री के लिए काफ़ी चिंता और डर पैदा करने वाली बात थी. यदि कहीं फट गयी तो वह घर कैसे जाएगी और दूसरी की मा यदि देख ली तो क्या जबाव देगी. यही सोचते उसने पंडित जी से हिम्मत कर के बोली "जी समीज़ फट जाएगी" तभी पंडित जी ने कहा "चल निकाल दे और आ चटाई पर बैठ, कब तक खड़ी रहेगी" इतना कह कर पंडित जी चटाई पर जा कर बैठ गये. उनका लंड पूरी तरह से खड़ा था जो सावित्री देख ही लेती और डर भी जाती उसकी मोटाई देख कर. समीज़ के फटने की डर जहाँ ख़त्म हुआ वहीं दूसरी परेशानी भी खड़ा कर दी कि समीज़ को उतरना था यानी अब नंगी होना था.

सावित्री को अब यह विश्वास हो चुका था कि आज पंडित जी उसका इज़्ज़त को लूट कर ही दम लेंगे और उसकी इज़्ज़त अब बच भी नहीं सकती. यह सोच मानो सावित्री से बार बार यही कह रहे हों कि विरोध करने से कोई फ़ायदा नही है जो हो रहा है उसे होने दो. आख़िर सावित्री का मन यह स्वीकार ही कर लिया की पंडित जी जो चाहें अब उसे ही करना पड़ेगा. और उसके काँपते हाथ समीज़ के निचले हिस्से को पकड़ कर, पीठ को पंडित जी के तरफ करती हुई धीरे धीरे निकाल ही ली और कुछ देर तक उस समीज़ के कपड़े से अपनी दोनो चुचिओ को ढाकी रही जो की एक पुराने ब्रा मे कसी थी. फिर उसने उस समीज़ को नीचे फर्श पर फेंक दिए और अपनी बाहों से अपनी दोनो चुचीोन को जो की ब्रा मे थी धक ली और काफ़ी धीरे धीरे सर को नीचे झुकाए हुए पंडित जी के तरफ मूडी. पंडित जी ने समीज़ के उतारते ही सावित्री की पीठ को देखा और पुराने ब्रा को भी जो उसने पहन रखा था. लेकिन ज्योन्हि सावित्री ने अपना मुँह पंडित जी के तरफ की उसके हाथों मे छिपी चुचियाँ जो काफ़ी बड़ी थी दिखी और पंडित जी के खड़े लंड ने एक झटका लिया मानो सलामी कर रहा हो. "आओ" पंडित जी ने कड़क आवाज़ मे बुलाया और बेबस सावित्री धीरे धीरे कदमो से चटाई पर आई तो पंडित जी ने उसका हाथ पकड़ कर बैठने लगे ज्योन्हि सावित्री बैठने लगी पंडित जी तुरंत उसका बड़ा चूतड़ अपने एक जाँघ पर खींच लिया नतीज़ा सावित्री पंडित जी के जाँघ पर बैठ गयी. सावित्री जो लगभग अब समर्पण कर चुकी थी उसके चूतड़ मे पंडित जी के जाँघ के कड़े मोटे बालों का गड़ना महसूस होने लगा. फिर पंडित जी ने सावित्री के पीठ के तरफ से एक हाथ लगा उसे अपने जंघे पर कस कर पकड़ बनाते हुए बैठाए और ब्रा के उपर से ही चुचिओ को दूसरी हाथ से मीज़ना सुरू कर दिया. सावित्री पंडित जी के जाँघ पर अब पूरी तरीके से समर्पित होते हुए बैठी थी और अब उसके सरीर पर उपर ब्रा और नीचे सलवार थी अंदर उसने एक पुरानी चड्धि पहन रखी थी. पंडित जी के हाथ चुचिओ के आकार के साथ साथ इसके कसाव का भी मज़ा लेने लगे. सावित्री की साँसे बहुत तेज़ हो गयी थी और अब हाँफने लगी थी. लेकिन एक बात ज़रूर थी जो पंडित जी दो को सॉफ समझ आ रही थी कि सावित्री के तरफ से विरोध एकदम नही हो रहा था. यह देखते ही पंडित जी ने उसके ब्रा के स्ट्रीप को हाथ से सरकाना चाहा लेकिन काफ़ी कसा होने से थोड़ा सा भी सरकाना मुश्किल दीख रहा था फिर पंडित जी ने सावित्री के पीठ पर ब्रा के हुक को देखा जो ब्रा पुरानी होने के कारण हुक काफ़ी कमज़ोर और टेढ़ी हो चुकी थी, और उसे खोला ही था कि सावित्री की दोनो अट्टरह साल की काफ़ी बड़ी और कसी कसी चूचिया छलक कर बाहर आ गयी तो मानो पंडित जी का तो प्राण ही सुख गया.इस पुरानी ब्रा मे इतनी नयी और रसीली चुचियाँ हैं पंडित जी को विस्वास ही नही हो रहा था. ज्योहीं दोनो चुचियाँ छलक कर बाहर आईं की सावित्री के हाथ उन्हें ढकने के लिए आगे आईं लेकिन अब मनोबल ख़त्म हो चुका था, पूरी तरह से टूट जाने के कारण सावित्री ने अपने सारे हथियार डाल चुकी थी और पंडित जी के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सामने अब समर्पित हो चुकी सावित्री को अपनी नंगी हो चुकी चुचिओ को ढकने से कोई फ़ायदा नही दीख रहा था और यही सोच कर उसने अपना हाथ दोनो चुचिओ पर से स्वयम् ही हटा लिया नतीज़ा की दोनो चुचियाँ पंडित जी के सामने एकदम नंगी हो चुकी थी.


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Sunday 29 March 2015

Mere Gao Ki Ladki Ki Chudai Part-7

सावित्री के हथेलिओं को पंडित जी की जाँघ की मांसपेशियो के काफ़ी कड़े और गातीलेपन का आभास हर दबाव पर हो रहा था जैसे की कोई चट्टान के बने हों. पंडित जी किताब को दोनो हाथो मे लेकर लेटे लेटे पढ़ रहे थे और किताब उनके मुँह के ठीक सामने होने के कारण अब पंडित जी सावित्री को नही देख सकते थे. पंडित जी का मुँह अब किताब के आड़ मे पा कर सावित्री की हिम्मत हुई और वह पंडित जी के कमर वाले हिस्से के तरफ नज़र दौड़ाई तो देखा की धोती जो केवल जाँघो पर से हटी थी लेकिन कमर के हिस्से को अच्छी तरह से ढक रखा था और कहीं से भी लंगोट भी दिखाई नही दे रही थी.
धोती से उनके निचले हिस्से का ठीक से ढके होने से सावित्री को कुछ राहत सी महसूस हुई. और उसके आँखो के आँसू लगभग सूखने लगा ही था कि उसकी नज़र किताब के उपर पड़ी. आठवीं क्लास तक पड़ी होने के वजह से उसे पड़ना तो आता ही था. पंडित जी के हाथ मे जो किताब थी उसका नाम पढ़ कर सावित्री ऐसे सकपकाई जैसे अभी उसके बुर से मूत निकल जाएगी. ऐसी नाम की कोई किताब भी हो सकती है यही सोचकर सिहर ही गयी. ये नाम अक्सर वो गाओं मे झगड़े के समय औरतों को गाली देने के लिए प्रयोग होते हैं. उस किताब का नाम उसके उपर हिन्दी के बड़े अक्षरो मे "हरजाई" लिखा था. यह देखते ही सावित्री के अंदर फिर से घबराहट की लहरें उठने लगी. अब पंडित जी के चरित्र और नियत दोनो सॉफ होती नज़र आ रही थी. उसे अब लगने लगा था कि उसके शरीर मे जान है ही नही और किसी ढंग से वह पंडित जी के जाँघ को दबा पा रही थी. जब जब उस किताब पर नज़र पड़ती तो सावित्री ऐसे सनसना जाती मानो वह किताब नही बल्कि पंडित जी का मोटा खड़ा लंड हो. अब सावित्री के मन को यह यकीन हो गया कि आज उसकी इज़्ज़त को भगवान भी नही बचा पाएँगे. इसी के साथ उसे लगा की उसका मन हताशा की हालत मे डूबता जा रहा था. वह एकदम कमजोर महसूस कर रही थी मानो कई सालों से बीमार हो और मरने के कगार पर हा गयी हो. तभी पंडित जी को लगा की उनके कसरती जाँघ पर सावित्री के हाथों से उतना दबाव नही मिल पा रहा हो और यही सोच कर उन्होने सावित्री को जाँघो को हाथ के बजाय पैर से दबाने के लिए कहा. घबराई सावित्री के सामने एक बड़ी परेशानी थी की उनके पैर और जाँघो पर कैसे चढ़ कर दबाए. आख़िर मजबूर सावित्री उनके पैर और जांघों पर पैर रख कर खड़ी होने लगी तो ऐसा लगने लगा मानो संतुलन ना बनाने के वजह से गिर जाएगी. तभी पंडित जी ने उसे कहा "दुपट्टा हटा दे नही तो उसमे उलझ कर गिर जाएगी" सावित्री को भी कुछ यह बात सही लगी क्योंकि जब वह पंडित जी के पैर और जाँघो पर खड़ी होने की कोशिस करती तब उसका उपरी शरीर हवा मे इधेर उधेर लहराने लगता और दुपट्टा मे उसके हाथ फँसने से लगता. लेकिन दुपट्टा से उसकी दोनो बड़ी बड़ी गोल चुचियाँ धकि थी जो कि समीज़ मे काफ़ी तन कर खड़ी थी. हर हाल मे पैर तो दबाना ही था इसलिए सावित्री दुपट्टा को उतारने लगी और उसे लगा कि उसके उपर आकाश की बिजली गिर पड़ी हो. दुपट्टा उतार कर बगल मे फर्श पर रख दिया और जब सीधी खड़ी हुई तब उसे दुपट्टे की कीमत समझ मे आने लगी. दोनो चुचियाँ एक दम बाहर निकली दिख रही थी मानो समीज़ अभी फट जाएगा और दोनो बड़े बड़े गोल गोल चुचियाँ आज़ाद हो जाएँगी. अब फिर सावित्री पंडित जी के जाँघ पर अपने पैर रख कर चाड़ने की कोशिस करने लगी तो संतुलन बनाने लिए फिर उसका कमर के उपर का शरीर हवा मे लहराया और साथ मे दोनो चुचियाँ भी और उसके शरीर मे सनसनाहट भर सी गयी.लेकिन गनीमत यह थी की पंडित जी का ध्यान उस किताब मे ही था और वी सावित्री के चुचिओ को नही देख रहे थे. सावित्री जब किसी तरह से उनके जाँघ पर खड़ी हो कर उनके जाँघ को अपने पैरों से दबाव बना कर दबाती उनके जाँघ पर उगे घने काले मोटे बालों से उसके पैर के तलवे मे चुभन सी महसूस होती. सावित्री उनके जाँघ पर जब खड़ी हो कर दबा रही थी तभी उसे उनके कसरती शरीर के गातीलेपन का आभास भी होने लगा और जाँघ लग रहा था कि पत्थर का बना हों. थोड़ी देर तक दोनो जांघों को पैर से दबाने के बाद पंडित जी ने उस किताब को एक किनारे रख दिया और फिर अपने जाँघो पर चड़ी सावित्री को घूर्ने लगे मानो दोनो चुचिओ को ही देख रहे हो. अब यह सावित्री के उपर नया हमला था. कुछ पल तक वो चुचिओ को ही निहारने के बाद बोले "उतरो" और सावित्री उनके जाँघो पर से अपने पैर नीचे चटाई पर उतार ली और अपनी पीठ पंडित जी के तरफ कर ली ताकि अपनी दोनो चुचिओ को उनके नज़रों से बचा सके और अगले पल ज्यों ही अपना दुपट्टा लेने के लिए आगे बड़ी के कड़क आवाज़ उसके कानो मे गोली की तरह लगी "कमर भी अपने पैर से" और उसने पलट कर पंडित जी की ओर देखा तो वे पेट के बगल लेट गये थे और उनका पीठ अब उपर की ओर था. उनके शरीर पर बनियान और धोती थी और अब इस हालत मे जब पैर से कमर दबाने के लिए पैर को कमर पर रखने का मतलब उनका सफेद रंग की बनियान और धोती दोनो ही सावित्री के पैर से खराब होती. पंडित जी के कपड़े इतने सॉफ और सफेद थे कि ग़रीब सावित्री की हिम्मत ना होती उनके इन कपड़ो पर पैर रखे. कुछ पल हिचकिचाहट मे बीते ही थे की पंडित जी मे दिमाग़ मे फिर ये बात गूँजी की सावित्री एक छोटी जाती की है और उसके पैर से दबाने पर उनके कपड़े लगभग अशुद्ध हो जाएँगे. फिर अगले पल बोले "रूको कपड़े तो उतार लूँ" और बैठ कर बनियान को निकाल कर चौकी पर रख दिया और धोती को कमर से खोलकर ज्योन्हि अलग किया की उनके शरीर पर केवल एक लाल रंग की लंगोट ही रह गयी.
धोती को भी पंडित जे ने बनियान की तरह चौकी पर रख कर केवल लाल रंग के लंगोट मे फिर पेट के बगल लेट गये. सावित्री धोती हटने के बाद लाल लंगोट मे पंडित जी को देखकर अपनी आँखे दूसरी तरफ दीवार की ओर कर लिया. उसके पास अब इतनी हिम्मत नही थी की अधेड़ उम्र के पंडित जी को केवल लंगोट मे देखे. सावित्री जो की दीवार की तरफ नज़रें की थी, जब उसे लगा कि अब पंडित जे पेट के बगल लेट गये है तब वापस मूडी और उनके कमर पर पैर रख कर चढ़ गयी. अपना संतुलन बनाए रखने के लिए सावित्री को पंडित जी के कमर की तरफ देखना मजबूरी थी और ज्यों ही उसने पंडित जी की कमर की तरफ नज़रें किया वैसे ही पतले लंगोट मे उनका कसा हुआ गातीला चूतड़ दिखाई दिया. सावित्री फिर से सिहर गयी. आज जीवन मे पहली बार सावित्री किसी मर्द का चूतड़ इतने नज़दीक से देख रही थी. उनके चूतदों पर भी बॉल उगे थे. लंगोट दोनो चूतदों के बीच मे फँसा हुआ था. गनीमत यह थी की पंडित जे की नज़रें सावित्री के तरफ नहीं थी क्योंकि पेट के बगल लेटे होने के वजह से उनका मुँहे दूसरी तरफ था इसी कारण सावित्री की कुछ हिम्मत बढ़ी और वह पंडित जी के कमर और पीठ पर चढ़ कर अपने पैरों से दबाते हुए पंडित जे के पूरे शरीर को भी देख ले रही थी. उनका गाथा हुआ कसरती पहलवानो वाला शरीर देख कर सावित्री को लगता था कि वह किसी आदमी पर नही बल्कि किसी शैतान के उपर खड़ी हो जो पत्थर के चट्टान का बना हो. सावित्री अपने पूरे वजन से खड़ी थी लेकिन पंडित जी का शरीर टस से मास नही हो रहा था. जैसा की सावित्री उनके शरीर को देखते हुए उनके कमर को दबा ही रही थी की उसे ऐसा लगा मानो पंडित जी के दोनो जाँघो के बीच मे कुछ जगह बनती जा रही हो. पंडित जी पेट के बगल लेटे लेटे अपने दोनो पैरो के बीच मे कुछ जगह बनाते जा रहें थे. सावित्री की नज़रें पंडित जी के इस नये हरकत पर पड़ने लगी. तभी उसने कुछ ऐसा देखा की देखते ही उसे लगा की चक्कर आ जाएगा और पंडित जी के उपर ही गिर पड़ेगी. अट्ठारह साल की सावित्री उस ख़तरनाक चीज़ को देखते ही समझ गयी थी की इसी से पंडित जी उसके चरित्र का नाश कर हमेसा के लिए चरित्रहीं बना देंगे. यह वही चीज़ थी जिससे उसकी मा के सपनो को तार तार कर उसके संघर्ष को पंडित जी ख़त्म कर देंगे. और आगे उसकी मा अपनी इज़्ज़त पर नाज़ नही कर सकेगी. यह पंडित जी के ढीले लंगोट मे से धीरे धीरे बढ़ता हुआ लंड था जो अभी पूरी तरीके से खड़ा नही हुआ था और कुछ फुलाव लेने के वजह से ढीले हुए लंगोट के किनारे से बाहर आ कर चटाई पर साँप की तरह रेंगता हुआ अपनी लम्बाई बढ़ा रहा था. फिर भी हल्के फुलाव मे भी वह लंड ऐसा लग रहा था की कोई मोटा साँप हो. उसका रॅंड एकदम पंडित जी के रंग का यानी गोरा था. पेट के बगल लेटने के वजह से जो चूतड़ उपर था उसकी दरार मे लंगोट फाँसी हुई और ढीली हो गयी थी जिससे आलू के आकर के दोनो अनदुओं मे से एक ही दिखाई पड़ने लगा था. उसके अगाल बगल काफ़ी बॉल उगे थे. तभी सावित्री को याद आया की जब वह लंगोट साफ कर रही थी तभी यही झांट के बॉल लंगोट मे फँसे थे. अनदुओं के पास झांट के बॉल इतने घने और मोटे थे की सावित्री को विश्वास नही होता था की इतने भी घने और मोटे झांट के बाल हो सकते हैं. सावित्री अपने उपर होने वाले हमले मे प्रयोग होने वाले हथियार को देख कर सिहर सी जा रही थी. उसके पैर मे मानो कमज़ोरी होती जा रही थी और उसकी साँसे अब काफ़ी तेज होने लगी थी जिसे पंडित जी भी सुन और समझ रहे थे. कुछ पल बाद ज्योन्हि सावित्री का नज़र उस लंड पर पड़ी तो उसे लगा की मानो उसकी बुर से मूत छलक जाएगी और खड़ी खड़ी पंडित जी के पीठ पर ही मूत देगी, क्योंकि अब पहले से ज़्यादा खड़ा हो कर काफ़ी लंबा हो गया था. पंडित जी वैसे ही लेटे अपना कमर दबावा रहे थे और उनका खड़ा लंड दोनो जाँघो के बीच मे चटाई पर अपनी मोटाई बढ़ा रहा था और सावित्री को मानो देखकर बेहोशी छाने लगी थी. शायद यह सब उस लंड के तरफ देखने से हो रही थी. अब सावित्री की हिम्मत टूट गयी और उसने अपनी नज़र चटाई पर लेटे हुए पंडित जी के लंड से दूसरी ओर करने लगी तभी उसने देखा की पंडित जी लेटे हुए ही गर्दन घुमा कर उसे ही देख रहे थे. ऐसी हालत मे सावित्री की नज़र जैसे ही पंडित जी के नज़र से लड़ी की उसके मुँह से चीख ही निकल पड़ी और " अरी माई" चीखते हुए पंडित जी के कमर पर से चटाई पर लगभग कूद गयी और सामने फर्श पर पड़े दुपट्टे को ले कर अपने समीज़ को पूरी तरह से ढक ली. लाज़ से बहाल होने के कारण अब उसका दिमाग़ काम करना एकदम से बंद ही कर दिया था. नतीजा दो कदम आगे बढ़ी और चटाई से कुछ ही दूरी पर घुटनो को मोदते हुए और अपने शरीर दोनो बाहों से लपेट कर बैठ गई और अपने चेहरे को दोनो घुटनो के बीच ऐसे छुपा ली मानो वह किसी को अपना मुँह नही दिखाना चाहती हो. अब वह लगभग हाँफ रही थी. फर्श पर ऐसे बैठी थी की वह अब वान्हा से हिलना भी नही चाह रही हो. उसकी घुटना के बीच मे चेहरा छुपाते हुए सावित्री ने दोनो आँखे पूरी ताक़त से बंद कर ली थी. सावित्री का पीठ पंडित जी के तरफ था जो कुछ ही फुट की दूरी पर बिछे चटाई पर अब उठ कर बैठ गये थे. लेकिन उनकी लंगोट अब काफ़ी ढीली हो चली थी और लंगोट के बगल से पंडित जी का गोरा और तननाया हुया टमाटर जैसे लाल सूपड़ा चमकाता हुआ लंड लगभग फुंफ़कार रहा था मानो अब उसे अपना शिकार ऐसे दिखाई दे रहा हो जैसे जंगल मे शेर अपने सामने बैठे शिकार को देख रहा हो.
अब पंडित जी उठकर खड़े हुए और अपने कमर मे ढीली लंगोट को खोलकर चौकी पर रख दिए. अब उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नही था.

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Saturday 28 March 2015

Mere Gao Ki Ladki Ki Chudai Part-6

उसके मन मे विरोध के भी भाव थे कि ऐसा करने से वो मना कर दे लेकिन गाओं की अट्ठारह साल की सीधी साधी ग़रीब लड़की जिसने अपना ज़्यादा समय घर मे ही बिताया था,
और शर्मीली होने के साथ साथ वह एक डरपोक किस्म की भी हो गयी थी. और वह अपने घर से बाहर दूसरे जगह यानी भोला पंडित के दुकान मे थी जिसका दरवाजा बंद था और दोपहर के समय एकांत और शांत माहौल मे उसका मन और डर से भर गया था. उसके उपर से भोला पंडित जो उँची जाती के थे और उनका रोबीला कड़क आवाज़ और उससे बहुत कम बातें करने का स्वाभाव ने सावित्री के मन मे बचे खुचे आत्मविश्वास और मनोबल को तो लगभग ख़त्म ही कर दिया था. वैसे वह पहले से ही काफ़ी डरी हुई थी और आज उसका पहला दिन था जब वह दुकान मे भोला पंडित के साथ अकेली थी.
इन सब हालातों मे विरोध ना कर सकने वाली सावित्री को अब पंडित जी के पैर पर हाथ लगाना ही पड़ा. जैसे ही उसने उनके पैर पर हाथ रखा सारा बदन सनसनाहट से गन्गना गया क्योंकि यह एक मर्द का पैर था. जो कि काफ़ी ताकतवर और गाथा हुआ था और जिस पर घने बॉल उगे थे. वैसे सावित्री कभी कभी अपनी मा का पैर दबा देती थी जब वो काफ़ी थॅकी होती और उसे पैर दबाना मा ने ही सिखाया था. इसलिए मा के पैर की बनावट की तुलना मे भोला पंडित का पैर काफ़ी कड़ा और गाथा हुआ था. जहाँ मा के पैर पर बाल एकदम ना थे वहीं भोला पंडित के पैर पर काफ़ी घने बाल उगे थे. बालो को देखकर और छूकर उसे लंगोट मे लगे झांट के बालों की याद आ गयी और फिर से सनसना सी गयी. वह अपने हाथो से भोला पंडित के पैर को घुटने के नीचे तक ही दबाती थी. साथ साथ पंडित जी के बालिश्ट शरीर को भी महसूस करने लगी. जवान सावित्री के लिए किसी मर्द का पैर दबाना पहली बार पड़ा था और सावित्री को लगने लगा था कि किसी मर्द को छूने से उसके शरीर मैं कैसी सनसनाहट होती है. कुछ देर तक सावित्री वैसे ही पैर दबाती रही और पंडित जी के पैर के घने मोटे बालों को अपने हाथों मे गड़ता महसूस करती रही. तभी पंडित जी ने अपने पैर के घुटनो को मोदकर थोड़ा उपर कर दिया जिससे धोती घुटनो और झंघो से कुछ सरक गयी और उनकी पहलवान जैसी गठीली जांघे धोती से बाहर आ गयी. भोला पंडित के पैरों की नयी स्थिति के अनुसार सावित्री को भी थोड़ा पंडित जी की तरफ ऐसे खिसकना पड़ा ताकि उनके पैरो को अपने हाथों से दबा सके. फिर सावित्री पंडित जी के पैर को दबाने लगी लेकिन केवल घुटनो के नीचे वाले हिस्से को ही. कुछ देर तक केवल एक पैर को दबाने के बाद जब सावित्री दूसरे पैर को दबाने के लिए आगे बढ़ी तभी पंडित जी कड़ी आवाज़ मे बोल पड़े "उपर भी" सावित्री के उपर मानो पहाड़ ही गिर पड़ा. वह समझ गयी कि वो जाँघो को दबाने के लिए कह रहे हैं. पंडित जी की बालिश्ट जाँघो पर बाल कुछ और ही ज़्यादा थे. जाँघो पर हाथ लगाते हुए सावित्री अपनी इज़्ज़त को लगभग लूटते देख रही थी. कही पंडित जी क्रोधित ना हो जाए इस डर से जाँघो को दबाने मे ज़्यादा देर करना ठीक नही समझ रही थी.
अब उसके हाथ मे कंपन लगभग साफ पता चल रहा था. क्योंकि सावित्री पंडित जी के जेंघो को छूने और दबाने के लिए मानसिक रूप से अपने को तैयार नही कर पा रही थी. जो कुछ भी कर रही थी बस डर और घबराहट मे काफ़ी बेबस होने के वजह से. उसे ऐसा महसूस होता था की अभी वह गिर कर तुरंत मर जाएगी. शायद इसी लिए उसे सांस लेने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ रही थी. उसके घबराए हुए मन मे यह भी विचार आता था कि उसकी मा ने उसके इज़्ज़त को गाओं के अवारों से बचाने के लिए उसे स्कूल की पड़ाई आठवीं क्लास के बाद बंद करवा दिया और केवल घर मे ही रखी. इसके लिए उसकी विधवा मा को काफ़ी संघर्ष भी करना पड़ा. अकेले घर को चलाने के लिए उसे काफ़ी मेहनत करनी पड़ती थी और इसी लिए कई लोगो के घर जा कर बर्तन झाड़ू पोच्छा के काम करती. आख़िर यह संघर्ष वह अब भी कर रही थी. इसीलिए वह सावित्री को गाओं मे कम करने के बजाय वह अधेड़ पंडित जी के दुकान पर काम करने के लिए भेजा था. यही सोचकर की बाप के उमर के अधेड़ भोला पंडित के दुकान पर उसकी लड़की पूरी सुरक्षित रहेगी जैसा की लक्ष्मी ने बताया था कि पंडित जी काफ़ी शरीफ आदमी हैं. लेकिन सीता की यह कदम की सावित्री भी काम कर के इस ग़रीबी मे इज़्ज़त के लिए इस संघर्ष मे उसका साथ दे जिससे कुछ आमदनी बढ़ जाए और सावित्री की जल्दी शादी के लिए पैसे का इंतेज़ाम हो जाए, सावित्री को अब ग़लत लगने लगा था. लेकिन सावित्री अपने मा को बहुत अच्छी तरीके से जानती थी. सीता को इज़्ज़त से बहुत प्यार था और वह कहती भी थी की मैं ग़रीब भले हूँ और मेरे पास पैसे भले ना हो पर मेरे पास इज़्ज़त तो है. यह बात सही भी थी क्योंकि सावित्री को याद था कि उसके बाप के मरने के बाद सीता ने इस ग़रीबी मे अपनी इज़्ज़त मर्यादा को कैसे बचा कर रखने के लिए कैसे कैसे संघर्ष की. जब वह सयानी हुई तब किस तरह से स्कूल की पड़ाई बंद कराके सावित्री को घर मे ही रहने देने की पूरी कोशिस की ताकि गाओं के गंदे माहौल के वजह से उसके इज़्ज़त पर कोई आँच ना आए. और इज़्ज़त के लिए ही गाओं के गंदे माहौल से डरी सीता यह चाहती थी कि सावित्री की बहुत जल्दी शादी कर के ससुराल भेज दिया जे और इसी लिए वह अपने इस संघर्ष मे सावित्री को भी हाथ बताने के लिए आगे आने के लिए कही.वो भी इस उम्मीद से की कुछ पैसे का इंतेज़ाम हो जाए, पंडित जी के दुकान पर काम के लिए मजबूरी मे भेजी थी इन्ही बातों को सोचते हुए सावित्री को लगा की उसके आँख से आँसू गिर जाएँगे और आँखे लगभग दबदबा गयी. और ज्यो ही सावित्री ने अपना काँपता हाथ पंडित जी के घने उगे बालो वाले बालिश्ट जाँघ पर रखी उसे लगा कि उसकी मा और वह दोनो ही इज़्ज़त के लिए कर रहे अंतिम शंघर्ष मे अब हार सी गयी हो. यही सोचते उसके दबदबाई आँखो से आँसू उसके गालों पर लकीर बनाते हुए टपक पड़े. अपने चेहरे पर आँसुओं के आते ही सावित्री ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया ताकि पंडित जी की नज़र आँसुओं पर ना पड़ जाए. तभी उसे लगा की पंडित जी उसके आँसुओं को देख लिया हो और दूसरे पल वह उठकर लगभग बैठ गये. सावित्री को लगा की शायद भगवान ने ग़रीब की सुन ली हो और अब इज़्ज़त बच जाय क्योंकि पंडित जी उसके रोने पर तरस खा कर उससे जाँघ ना दब्वाये. ऐसी सोच ने सावित्री के शरीर मे आशा की एक लहर दौड़ा दी. लेकिन अगले पलों मे ऐसा कुछ भी ना हुआ और पंडित जी बगल मे चौकी पर बिछे बिस्तेर के नीचे से एक किताब निकाली और फिर बिना कुछ कहे वैसे ही लेट गये और उस किताब को पढ़ने लगे. सावित्री को लगा कि वो आसमान से गिर गयी हो. नतीज़ा यह की सावित्री अपने आँखो मे आँसू लिए हुए उनके बालिश्ट झांग को दबाने लगी. जो कि बहुत कड़ा था और काफ़ी घने बाल होने के कारण सावित्री के हाथ मे लगभग चुभ से रहे थे. और ऐसा लगता मानो ये बाल सावित्री के हथेली मे गुदगुदी कर रहे हों क्योंकि काफ़ी मोटे और कड़े भी थे. जब भी सावित्री पंडित जी के जाँघ को दबाती उसे महसूस होता की उनके झांग और उसके हाथों के बीच मे उनके कड़े मोटे बाल एक परत सी बना ले रही हों.


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Friday 27 March 2015

Mere Gao Ki Ladki Ki Chudai Part-5

अचानक ऐसे सवाल को सुन कर सावित्री की आँखे फटी की फटी रह गई वह मानो अगले पल गिरकर मर जाएगी उसे ऐसा लग रहा था. उसका गले मे मानो लकवा मार दिया हो, दिमाग़ की सारी नसे सूख गयी हो. सावित्री के रोवे रोवे को कंपा देने वाले इस सवाल ने सावित्री को इस कदर झकझोर दिया कि मानो उसके आँखो के सामने कुछ दीखाई ही नही दे रहा था. आख़िर वह कुछ बोल ना सकी और एक पत्थेर की तरह खड़ी रह गई. दुबारा भोला पंडित ने वही सवाल दुहरेया "महीना कब बैठी थी" सावित्री के सिर से पाँव तक पसीना छूट गया. उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये क्या हो रहा है और वह क्या करे लेकिन दूसरी बार पूछने पर वह काफ़ी दबाव मे आ गयी और सूखे गले से काफ़ी धीमी आवाज़ ही निकल पाई "दस दिन प..." और आवाज़ दब्ति चली गयी कि बाद के शब्द सुनाई ही नही पड़े. फिर भोला पंडित ने कुछ और कड़े आवाज़ मे कुछ धमकी भरे लहजे मे आदेश दिया "जाओ पेशाब कर के आओ" इसे सुनते ही सावित्री कांप सी गयी और शौचालय के तरफ चल पड़ी. अंदर जा कर सीत्कनी बंद करने मे लगताथा जैसे उसके हाथ मे जान ही नही है. भोला पंडित का पेशाब कराने का मतलब सावित्री समझ रही थी लेकिन डर के मारे उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो अब क्या करे . शौचालय के अंदर सावित्री के हाथ जरवंद खोलने मे कांप रहे थे और किसी तरह से जरवंद खोल कर सलवार को नीचे की और फिर चड्धि को सर्काई और पेशाब करने बैठी लेकिन काफ़ी मेहनत के बाद पेशाब की धार निकलना शुरू हुई. पेशाब करने के बाद सावित्री अपने कपड़ो को सही की दुपट्टा से चुचियो को ढाकी फिर उसकी हिम्मत शौचालय से बाहर आने की नही हो रही थी और वह उसी मे चुपचाप खड़ी थी. तभी फिर डरावनी आवाज़ कानो मे बम की तरह फट पड़ा "जल्दी आओ बाहर" बाहर आने के बाद वह नज़ारे झुकाए खड़ी थी और उसका सीना धक धक ऐसे कर रहा था मानो फट कर बाहर आ जाएगा . सावित्री ने देखा की भोला पंडित चौकी पर दोनो पैर नीचे लटका कर बैठे हैं. फिर पंडित जी चौकी पर बैठे ही सावित्री को नीचे से उपर तक घूरा और फिर चौकी पर लेट गये. चौकी पर एक बिस्तर बिछा था और भोला पंडित के सिर के नीचे एक तकिया लगा था. भोला पंडित लेते लेते छत की ओर देख रहे थे और चित लेट कर दोनो पैर सीधा फैला रखा था. वे धोती और बनियान पहने थे. धोती घुटने तक थी और घुटने के नीचे का पैर सॉफ दीख रहा था जो गोरे रंग का काफ़ी मजबूत था जिसपे काफ़ी घने बाल उगे थे. सावित्री चुपचाप अपने जगह पर ऐसे खड़ी थी मानो कोई मूर्ति हो. वह अपने शरीर मे डर के मारे धक धक की आवाज़ साफ महसूस कर रही थी. यह उसके जीवन का बहुत डरावना पल था. शायद अगले पल मे क्या होगा इस बात को सोच कर काँप सी जाती. इतने पॅलो मे उसे महसूस हुआ कि उसका पैर का तलवा जो बिना चप्पल के कमरे के फर्श पर थे, पसीने से भीग गये थे. उसकी साँसे तेज़ चल रही थी. उसे लग रहा था की सांस लेने के लिए उसे काफ़ी ताक़त लगानी पड़ रही थी. ऐसा जैसे उसके फेफड़ों मे हवा जा ही नही रही हो. उसके दिल और दिमाग़ दोनो मे लकवा सा मार दिया था. तभी पंडित जी कमरे के छत के तरफ देखते हुए बोले "पैर दबा" सावित्री जो की इस दयनीय हालत मे थी और शर्म से पानी पानी हो चुकी थी, ठीक अपने सामने नीचे फर्श पर देख रही थी, क्योंकि उसकी भोला पंडित की तरफ देखने की हिम्मत अब ख़त्म हो चुकी थी, आवाज़ सुनकर फिर से कांप सी गयी और अपने नज़रो को बड़ी ताक़त से उठा कर चौकी के तरफ की और भोला पंडित को जब कनखियों से देखी कि वे धोती और बनियान मे सिर के नीचे तकिया लगाए लेते थे और अब सावित्री के तरफ ही देख रहे थे. सावित्री फिर से नज़रे नीचे गढ़ा ली. वह चौकी से कुछ ही दूरी पर ही खड़ी थी उसे लग रहा था कि उसके पैर के दोनो तलवे फर्श से ऐसे चिपक गये हो की अब छूटेंगे ही नही. भोला पंडित को अपनी तरफ देखते हुए वह फिर से घबरा गयी और डर के मारे उनके पैर दबाने के लिए आगे बढ़ी ही थी कि ऐसा महसूस हुआ जैसे उसे चक्केर आ गया हो और अगले पल गिर ना जाए. शायद काफ़ी डर और घबराहट के वजह से ही ऐसा महसूस की. ज्यों ही सावित्री ने अपना पैर फर्श पर आगे बढ़ाई तो पैर के तलवे के पसीना का गीलापन फर्श पर सॉफ दीख रहा था. अब चौकी के ठीक करीब आ गयी और खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि अब उनके पैर को कैसे दबाए. भोला पंडित ने सावित्री से केवल पैर दबाने के लिए बोला था और ये कुछ नही कहा कि चौकी पर बैठ कर दबाए या केवल चौकी के किनारे खड़ी होकर की दबाए. क्योंकि सावित्री यह जानती थी कि पंडित जी को यह मालूम है कि सावित्री एक छ्होटी जात की है और लक्ष्मी ने सावित्री को पहले ही यह बताया था कि दुकान मे केवल अपने काम से काम रखना कभी भी पंडित जी का कोई समान या चौकी को मत छूना क्योंकि वो एक ब्राह्मण जाती के हैं और वो छ्होटी जाती के लोगो से अपने सामानो को छूना बर्दाश्त नही करते, और दुकान मे रखी स्टूल पर ही बैठना और आराम करने के लिए चटाई का इस्तेमाल करना. शायद इसी बात के मन मे आने से वह चौकी से ऐसे खड़ी थी कि कहीं चौकी से सॅट ना जाए. भोला पंडित ने यह देखते ही की वह चौकी से सटना नही चाहती है उन्हे याद आया कि सावित्री एक छोटे जाती की है और अगले ही पल उठकर बैठे और बोले "जा चटाई ला" सावित्री का डर बहुत सही निकला वह यह सोचते हुए कि भला चौकी को उसने छूआ नही. दुकान वाले हिस्से मे जहाँ वो आराम करने के लिए चटाई बिछाई थी, लेने चली गयी. इधेर भोला पंडित चौकी पर फिर से पैर लटका कर बैठ गये, सावित्री ज्यों ही चटाई ले कर आई उन्होने उसे चौकी के बगल मे नीचे बिछाने के लिए उंगली से इशारा किया. सावित्री की डरी हुई आँखे इशारा देखते ही समझ गयी कि कहाँ बिछाना है और बिछा कर एक तरफ खड़ी हो गयी और अपने दुपट्टे को ठीक करने लगी, उसका दुपट्टा पहले से ही काफ़ी ठीक था और उसके दोनो चूचियो को अच्छी तरह से ढके था फिर भी अपने संतुष्टि के लिए उसके हाथ दुपट्टे के किनारों पर चले ही जाते. भोला पंडित चौकी पर से उतर कर नीचे बिछी हुई चटाई पर लेट गये. लेकिन चौकी पर रखे तकिया को सिर के नीचे नही लगाया शायद चटाई का इस्तेमाल छ्होटी जाती के लिए ही था इस लिए ही चौकी के बिस्तर पर रखे तकिया को चटाई पर लाना मुनासिब नही समझे. भोला पंडित लेटने के बाद अपने पैरों को सीधा कर दिया जैसा की चौकी के उपर लेते थे. फिर से धोती उनके घुटनो तक के हिस्से को ढक रखा था. उनके पैर के तरफ सावित्री चुपचाप खड़ी अपने नज़रों को फर्श पर टिकाई थी. सीने का धड़कना अब और तेज हो गया था. तभी पंडित जी के आदेश की आवाज़ सावित्री के कानो मे पड़ी "अब दबा" . सावित्री को ऐसा लग रहा था कि घबराहट से उसे उल्टी हो जायगि. अब सावित्री के सामने यह चुनौती थी कि वह पंडित जी के सामने किस तरह से बैठे की पंडित जी को उसका शरीर कम से कम दीखे. जैसा की वह सलवार समीज़ पहनी और दुपट्टा से अपने उपरी हिस्से को काफ़ी ढंग से ढक रखा था. फिर उसने अपने पैर के घुटने को मोदकर बैठी और यही सोचने लगी कि अब पैर दबाना कहाँ से सुरू करे.



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Thursday 26 March 2015

Mere Gao Ki Ladki Ki Chudai Part-4

रोजाना दोपहेर को वे एक या दो घंटे के लिए दुकान बंद कर खाना खा कर दुकान के पिछले हिस्से मे बने कमरे मे आराम करते. यह दुकान को ही दो भागो मे बाँट कर बना था जिसके बीच मे केवल एक दीवार थी और दुकान से इस कमरे मे आने के लिए एक छोटा सा दरवाजा था जिस पर एक परदा लटका रहता. अंदर एक चौकी थी और पिछले कोने मे शौचालय और स्नानघर भी था . यह कमरा दुकान के तुलना मे काफ़ी बड़ा था. कमरे मे एक चौकी थी जिसपर पर भोला पंडित सांड की तरह लेट गये और नीचे एक चटाई पर लक्ष्मी लेट कर आराम करने लगी, सावित्री को भी लेटने के लिए कहा पर पंडितजी की चौकी के ठीक सामने ही बिछी चटाई पर लेटने मे काफ़ी शर्म महसूस कर रही थी लक्ष्मी यह भाँप गयी कि सावित्री भोला पंडित से शर्मा रही है इस वजह से चटाई पर लेट नही रही है. लक्ष्मी ने चटाई उठाया और दुकान वाले हिस्से मे जिसमे की बाहर का दरवाजा बंद था, चली गयी. पीछे पीछे सावित्री भी आई और फिर दोनो एक ही चटाई पर लेट गये, लक्ष्मी तो थोड़ी देर के लिए सो गयी पर सावित्री लेट लेट दुकान की छत को निहारती रही और करीब दो घंटे बाद फिर सभी उठे और दुकान फिर से खुल गई. करीब दस ही दीनो मे लक्ष्मी ने सावित्री को बहुत कुछ बता और समझा दिया था आगे उसके पास समय और नही था कि वह सावित्री की सहयता करे. फिर सावित्री को अकेले ही आना पड़ा. पहले दिन आते समय खंडहेर के पास काफ़ी डर लगता मानो जैसे प्राण ही निकल जाए. कब कोई गुंडा खंडहेर मे खेन्च ले जाए कुछ पता नही था. लेकिन मजबूरी थी दुकान पर जाना. जब पहली बार खंडहेर के पास से गुज़री तो सन्नाटा था लेकिन संयोग से कोई आवारा से कोई अश्लील बातें सुनने को नही मिला. किसी तरह दुकान पर पहुँची और भोला पंडित को नमस्कार किया और वो रोज़ की तरह कुछ भी ना बोले और दुकान के अंदर आने का इशारा बस किया. खंडहेर के पास से गुज़रते हुए लग रहा डर मानो अभी भी सावित्री के मन मे था. आज वह दुकान मे भोला पंडित के साथ अकेली थी क्योंकि लक्ष्मी अब नही आने वाली थी. दस दिन तो केवल मा के कहने पर आई थी. यही सोच रही थी और दुकान मे एक तरफ भोला पंडित और दूसरी तरफ एक स्टूल पे सावित्री सलवार समीज़ मे बैठी थी.
दुकान एक पतली गली मे एकदम किनारे होने के वजह से भीड़ भाड़ बहुत कम होती और जो भी ग्राहक आते वो शाम के समय ही आते. दुकान के दूसरी तरफ एक उँची चहारदीवारी थी जिसके वजह से दुकान मे कही से कोई नही देख सकता था तबतक की वह दुकान के ठीक सामने ना हो. इस पतली गली मे यह अंतिम दुकान थी और इसके ठीक बगल वाली दुकान बहुत दीनो से बंद पड़ी थी. शायद यही बात स्टूल पर बैठी सावित्री के मन मे थी कि दुकान भी तो काफ़ी एकांत मे है, पंडित जी अपने कुर्सी पे बैठे बैठे अख़बार पढ़ रहे थे, करीब एक घंटा बीत गया लेकिन वो सावित्री से कुछ भी नही बोले. सावित्री को पता नही क्यो यह अक्चा नही लग रहा था. उनके कड़क और रोबीले मिज़ाज़ के वजह से उसके पास कहाँ इतनी हिम्मत थी कि भोला पंडित से कुछ बात की शुरुआत करे. दुकान मे एक अज़ीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था, तभी भोला पंडित ने स्टूल पर नज़रे झुकाए बैठी सावित्री के तरफ देखा और बोला " देखो एक कपड़ा स्नानघर मे है उसे धो कर अंदर ही फैला देना" मोटी आवाज़ मे आदेश सुनकर सावित्री लगभग हड़बड़ा सी गयी और उसके हलक के बस जी शब्द ही निकला और वह उठी और स्नानघर मे चल दी. स्नानघर मे पहुँच कर वह पीछे पलट कर देखी कि कहीं पंडित जी तो नही आ रहे क्योंकि सावित्री आज अकेले थी और दुकान भी सन्नाटे मे था और पंडित जी भी एक नये आदमी थे. फिर भी पंडित जी के उपर विश्वास था जैसा कि लक्ष्मी ने बताया था. सावित्री को लगा कि पंडित जी वहीं बैठे अख़बार पढ़ रहे हैं. फिर सावित्री ने स्नानघर मे कपड़े तलाशने लगी तो केवल फर्श पर एक सफेद रंग की लंगोट रखी थी जिसे पहलवान लोग पहनते हैं. यह भोला पंडित का ही था. सावित्री के मन मे अचानक एक घबराहट होने लगी क्योंकि वह किसी मर्द का लंगोट धोना ठीक नही लगता. स्नानघर के दरवाजे पर खड़ी हो कर यही सोच रही थी कि अचानक भोला पंडित की मोटी कड़क दार आवाज़ आई "कपड़ा मिला की नही" वे दुकान मे बैठे ही बोल रहे थे. सावित्री पूरी तरह से डर गयी और तुरंत बोली "जी मिला" सावित्री के पास इतनी हिम्मत नही थी कि भोला पंडित से यह कहे कि वह एक लड़की है और उनकी लंगोट को कैसे धो सकती है. आख़िर हाथ बढाई और लंगोट को ढोने के लिए जैसे ही पकड़ी उसे लगा जैसे ये लंगोट नही बल्कि कोई साँप है. फिर किसी तरह से लंगोट को धोने लगी. फिर जैसे ही लंगोट पर साबुन लगाने के लिए लंगोट को फैलाया उसे लगा कि उसमे कुछ काला काला लगा है फिर ध्यान से देख तो एकद्ूम सकपका कर रह गयी. यह काला कला कुछ और नही बल्कि झांट के बॉल थे जो भोला पंडित के ही थे.
जो की काफ़ी मोटे मोटे थे. वह उन्हे छूना बिल्कुल ही नही चाहती थी लेकिन लंगोट साफ कैसे होगी बिना उसे साफ किए. फिर सावित्री ने पानी की धार गिराया कि झांट के बाल लंगोट से बह जाए लेकिन फिर भी कुछ बॉल नही बह सके क्योंकि वो लंगोट के धागो मे बुरी तरह से फँसे थे. यह सावित्री के लिए चुनौती ही थी क्योंकि वह भोला पंडित के झांट के बालो को छूना नही चाहती थी. अचानक बाहर से आवाज़ आई "सॉफ हुआ की नही" और इस मोटे आवाज़ ने मानो सावित्री की हड्डियाँ तक कपा दी और बोल पड़ी "जी कर रही हूँ" और घबराहट मे अपने उंगलिओ से जैसे ही लंगोट मे फँसे झांट के बालो को निकालने के लिए पकड़ी कि सिर से पाव तक गन्गना गयी , उसे ऐसे लगा जैसे ये झांट के बाल नही बल्कि बिजली का कुर्रेंट है, आख़िर किसी तरह एक एक बाल को लंगोट से निकाल कर फर्श पर फेंकी और पानी की धार फेंक कर उसे बहाया जो स्नानघर के नाली के तरफ तैरते हुए जा रहे थे और सावित्री की नज़रे उन्हे देख कर सनसना रही थी. किसी ढंग से लंगोट साफ कर के वह अंदर ही बँधे रस्सी पर फैला कर अपना हाथ धो ली और वापस दुकान मे आई तो चेहरे पर पसीना और लालपान छा गया था. उसने देखा कि भोला पंडित अभी भी बैठे अख़बार पढ़ रहे थे. सावित्री जा कर फिर से स्टूल पर बैठ गयी और नज़रे झुका ली. कुछ देर बाद दोपहर हो चली थी और भोला पंडित के खाना खाने और आराम करने का समय हो चला था. समय देख कर भोला पंडित ने दुकान का बाहरी दरवाजा बंद किया और खाना खाने के लिए अंदर वाले कमरे मे चले आए. दुकान का बाहरी दरवाजा बंद होने का सीधा मतलब था कि कोई भी अंदर नही आ सकता था. भोला पंडित खाना खाने लगे और सावित्री तो घर से ही खाना खा कर आती इस लिए उसे बस आराम ही करना होता. सावित्री ने चटाई लेकर दुकान वाले हिस्से मे आ गयी और चटाई बिछा कर लेटने के बजाय बैठ कर आज की घटना के बारे मे सोचने लगी. उसे लगता जैसे भोला पंडित की झांट को छू कर बहुत ग़लत किया, लेकिन डरी सहमी और क्या करती. बार बार उसके मन मे डर लगता. दुकान का बाहरी दरवाजा बंद होने के कारण वह अपने आप को सुरक्षित नही महसूस कर रही थी. यही सोचती रही कि अंदर के कमरे से खर्राटे की आवाज़ आने लगी. फिर यह जान कर की भोला पंडित सो गये है वह भी लेट गयी पर उनके लंगोट वाली झांतो की याद बार बार दिमाग़ मे घूमता रहता. यही सब सोचते सोचते करीब एक घंटा बीत गया. फिर भोला पंडित उठे तो उनके उठने के आहट सुन कर सावित्री भी चटाई पर उठ कर बैठ गयी. थोड़ी देर बाद शौचालय से पेशाब करने की आवाज़ आने लगी , वो भोला पंडित कर रहे थे.अभी दुकान खुलने मे लगभग एक घंटे का और समय था और भोला पंडित शायद एक घंटे और आराम करेंगे' यही बात सावित्री सोच रही थी की अंदर से पंडित जी ने सावित्री को पुकारा. "सुनो" सावित्री लगभग घबड़ाई हुई उठी और अपना समीज़ पर दुपट्टे को ठीक कर अंदर आए तो देखी की भोला पंडित चौकी पर बैठे हैं. सावित्री उनके चौकी से कुछ दूर पर खड़ी हो गयी और नज़रे झुका ली और पंडित जी क्या कहने वाले हैं इस बात का इंतज़ार करने लगी. तभी भोला पंडित ने पुचछा "महीना तुम्हारा कब आया था"

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Wednesday 25 March 2015

Mere Gao Ki Ladki Ki Chudai Part-3

दोनों जब खंडहर के पास से गुजर रहे थे तब एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था. खंडहर में कोई दिख नहीं रहा था वैसे सावित्री पहले भी कभी कभार बाज़ार जाती तो इसी रस्ते से लेकिन तब उसके साथ उसकी माँ और गाँव की कई औरते भी साथ होने से दर उतना नहीं लगता. इसबार वह केवल लक्ष्मी के साथ थी और कुछ समय बाद उसे अकेले भी आना जाना पड़ सकता था. जो सबसे अलग बात यह थी की वह अब भरपूर जवान हो चुकी थी और आवारो से उसके जवानी को खतरा भी था जो वह महसूस कर सकती थी. सावित्री अब यह अच्छी तरह जानती थी की यदि आवारे उसे या किसी औरत को इस सुनसान खंडहर में पा जाएँ तो क्या करेंगे. शायद यह बात मन में आते ही उसके बदन में अजीब सी सिहरन उठी जो वह कुछ महसूस तो कर सकती थी लेकिन समझ नहीं पा रही थी. शायद खंडहर की शांत और एकांत का सन्नाटा सावित्री के मन के भीतर कुछ अलग सी गुदगुदी कर रही थी जिसमे एक अजीब सा सनसनाहट और सिहरन थी और यह सब उसके जवान होने के वजह से ही थी. खंडहर के पास से गुजरते इन पलो में उसके मन में एक कल्पना उभरी की यदि कोई आवारा उसे इस खंडहर में अकेला पा जाये तो क्या होगा..इस कल्पना के दुसरे ही पल सावित्री के बदन में कुछ ऐसा झनझनाहट हुआ जो उसे लगा की पुरे बदन से उठ कर सनसनाता हुआ उसकी दोनों झांघो के बीच पहुँचगया हो खंडहर में से कुछ लोगो के बात करने की आवाज आ रही थी. सावित्री का ध्यान उन आवाजो के तरफ ही था. ऐसा लग रहा था कुछ लोग शराब पी रहे थे और बड़ी गन्दी बात कर रहे थे पार कोई कही दिख नहीं रहा था. अचानक उसमे से एक आदमी जो 3२ -3५ साल का था बाहर आया और दोनों को रास्ते पार जाते देखने लगा तभी अन्दर वाले ने उस आदमी से पुछा "कौन है" जबाब में आदमी ने तुरंत तो कुछ नहीं कहा पर कुछ पल बाद में धीरे से बोला " दो मॉल जा रही है कस्बे में चुदने के लिए" उसके बाद सब खंडहर में हसने लगे. सावित्री के कान में तो जाने बम फट गया उस आदमी की बात सुनकर. चलते हुए खंडहर पार हो गया लक्ष्मी भी चुपचाप थी फिर बोली "देखो जब औरत घर से बाहर निकलती हैं तो बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है. यह मर्दों की दुनिया है वे जो चाहे बोलते हैं और जो चाहे करते हैं. हम औरतो को तो उनसे बहुत परेशानी होती है पर उन्हें किसी से कोई परेशानी नहीं होती." सावित्री कुछ न बोली पर खंडहर के पास उस आदमी की बात बार बार उसके दिमाग में गूंज रही थी "दो मॉल जा रही है कस्बे में चुदने के लिए" . तभी भोला पंडित की दुकान पर दोनों पहुँचीं . भोला पंडित पहली बार सावित्री को देखा तो उसकी चुचिया और चूतडो पर नज़र चिपक सी गई और सावित्री ने भोला पंडित का नमस्कार किया तो उन्होंने कुछ कहा नहीं बल्कि दोनों को दुकान के अंदर आने के लिए कहे. भोला पंडित ४४ साल के सामान्य कद के गोरे और कसरती शरीर के मालिक थे . उनके शरीर पर काफी बाल उगे थे . वे अक्सर धोती कुरता पहनते और अंदर एक निगोट पहनने की आदत थी. क्योंकि जवानी में वे पहलवानी भी करते थे. स्वाभाव से वे कुछ कड़े थे लेकिन औरतो को सामान बेचने के वजह से कुछ ऊपर से मीठापन दिखाते थे. दोनों दुकान में रखी बेंच पर बैठ गयीं. भोला पंडित ने एक सरसरी नजर से सावित्री को सर से पावं तक देखा और पुछा "क्या नाम है तेरा? " सावित्री ने जबाव दिया "जी सावित्री " लक्ष्मी सावित्री का मुह देख रही थी. उसके चेहरे पर मासूमियत और एक दबी हुई घबराहट साफ दिख रही थी. क्योंकि घर के बाहर पहली बार किसी मर्द से बात कर रही थी भोला पंडित ने दूसरा प्रश्न किया "kitne साल की हो गयी है" "जी अट्ठारह " सावित्री ने जबाव में कहा. आगे फिर पुछा "कितने दिनों में दुकान सम्हालना सीख लेगी" "जी " और इसके आगे सावित्री कुछ न बोली बल्कि बगल में बैठी लक्ष्मी का मुंह ताकने लगी तो लक्ष्मी ने सावित्री के घबराहट को समझते तपाक से बोली "पंडित जी अभी तो नयी है मई इसे बहुत जल्दी दुकान और सामानों के बारे में बता और सिखा दूंगी इसकी चिंता मेरे ऊपर छोड़ दीजिये " "ठीक है पर जल्दी करना , और कब तक तुम मेरे दुकान पर रहोगी " भोला पंडित ने लक्ष्मी से पुछा तो लक्ष्मी ने कुछ सोचने के बाद कहा "ज्यादे दिन तो नहीं पर जैसे ही सावित्री आपके दुकान की जिम्मेदारी सम्हालने लगेगी, क्योंकि मुझे कहीं और जाना है और फुर्सत एक दम नहीं है पंडित जी." आगे बोली "यही कोई दस दिन क्योंकि इससे ज्यादा मैं आपकी दुकान नहीं सम्हाल पाऊँगी , मुझे कुछ अपना भी कम करना है इसलिए" " ठीक है पर इसको दुकान के बारे में ठीक से बता देना" भोला पंडित सावित्री के तरफ देखते कहा.
सावित्री भोला पंडित के रूअब्दार कड़क मिज़ाज और तेवर को देखकेर कुछ डर सी जाती. क्योंकि वे कोई ज़्यादे बात चीत नही करते. और उनकी आवाज़ मोटी भी थी, बस दुकान पर आने वाली औरतो को समान बेचने के लालच से कुछ चेहरे पर मीठापन दीखाते.

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Do Friends Ko Sex Ka Maza Dya Part-1

मैं आज 22 की हो गयी हूँ . कुछ बरस पहले तक में बिलकुल 'फ्लैट' थी .. आगे से भी .. और पीछे से भी . पर स्कूल बस में आते जाते ; लड़कों के कन्धों की रगड़ खा खा कर मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरे कूल्हों और छातियों पर चर्बी चढ़ गयी .. बाली उम्र में ही मेरे नितम्ब बीच से एक फांक निकाले हुए गोल तरबूज की तरह उभर गए . मेरी छाती पर भगवन के दिए दो अनमोल 'फल ' भी अब 'अमरूदों ' से बढ़कर मोती मोती 'सेबों ' जैसे हो गए थे . मैं कई बार बाथरूम में नंगी होकर अचरज से उन्हें देखा करती थी .. छू कर .. दबा कर .. मसल कर . मुझे ऐसा करते हुए अजीब सा आनंद आता .. 'वहां भी .. और नीचे भी .

मेरे गोरे चित्ते बदन पर उस छोटी सी खास जगह को छोड़कर कहीं बालों का नमो -निशान तक नहीं था .. हल्के हल्के मेरी बगल में भी थे . उसके अलावा गर्दन से लेकर पैरों तक मैं एकदम चिकनी थी . क्लास के लड़कों को ललचाई नजरों से अपनी छाती पर झूल रहे 'सेबों ' को घूरते देख मेरी जाँघों के बीच छिपी बैठी हल्के हल्के बालों वाली , मगर चिकनाहट से भरी तितली के पंख फद्फदाने लगते और छातियों पर गुलाबी रंगत के 'अनार दाने ' तन कर खड़े हो जाते . पर मुझे कोई फरक नहीं पड़ा . हाँ , कभी कभार शर्म आ जाती थी . ये भी नहीं आती अगर मम्मी ने नहीं बोला होता ,"अब तू बड़ी हो गयी है अंजू .. ब्रा डालनी शुरू कर दे और चुन्नी भी लिया कर !"

सच कहूं तो मुझे अपने उन्मुक्त उरोजों को किसी मर्यादा में बांध कर रखना कभी नहीं सुहाया और न ही उनको चुन्नी से परदे में रखना . मौका मिलते ही मैं ब्रा को जानबूझ कर बाथरूम की खूँटी पर ही टांग जाती और क्लास में मनचले लड़कों को अपने इर्द गिर्द मंडराते देख मजे लेती .. मैं अक्सर जान बूझ अपने हाथ ऊपर उठा अंगडाई सी लेती और मेरी छातियाँ तन कर झूलने सी लगती . उस वक़्त मेरे सामने खड़े लड़कों की हालत ख़राब हो जाती ... कुछ तोह अपने होंटों पर ऐसे जीभ फेरने लगते मनो मौका मिलते ही मुझे नोच डालेंगे . क्लास की सब लड़कियां मुझसे जलने लगी .. हालाँकि 'वो ' सब उनके पास भी था .. पर मेरे जैसा नहीं ..

मैं पढाई में बिलकुल भी अच्छी नहीं थी पर सभी मास्टरों का 'पूरा प्यार ' मुझे मिलता था . ये उनका प्यार ही तोह था की होम -वर्क न करके ले जाने पर भी वो मुस्कुराकर बिना कुछ कहे चुपचाप कॉपी बंद करके मुझे पकड़ा देते .. बाकि सब की पिटाई होती . पर हाँ , वो मेरे पढाई में ध्यान न देने का हर्जाना वसूल करना कभी नहीं भूलते थे . जिस किसी का भी खली पेरिओद निकल आता ; किसी न किसी बहाने से मुझे स्ताफ्फ्रूम में बुला ही लेते . मेरे हाथों को अपने हाथ में लेकर मसलते हुए मुझे समझाते रहते . कमर से चिपका हुआ उनका दूसरा हाथ धीरे धीरे फिसलता हुआ मेरे नितम्बों पर आ टिकता . मुझे पढाई पर 'और ज्यादा ' ध्यान देने को कहते हुए वो मेरे नितम्बों पर हल्की हल्की चपत लगते हुए मेरे नितम्बों की थिरकन का मजा लूटते रहते .. मुझे पढाई के फायदे गिनवाते हुए अक्सर वो 'भावुक ' हो जाते थे , और चपत लगाना भूल नितम्बों पर ही हाथ जमा लेते . कभी कभी तोह उनकी उंगलियाँ स्किर्ट के ऊपर से ही मेरी 'दरार ' की गहराई मापने की कोशिश करने लगती ...

उनका ध्यान हर वक़्त उनकी थपकियों के कारन लगातार थिरकती रहती मेरी छातियों पर ही होता था .. पर किसी ने कभी 'उन् ' पर झपट्टा नहीं मारा . शायद 'वो ' ये सोचते होंगे की कहीं में बिदक न जाऊं .. पर मैं उनको कभी चाहकर भी नहीं बता पाई की मुझे ऐसा करवाते हुए मीठी मीठी खुजली होती है और बहुत आनंद आता है ...

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Ghori Banaya Or Kutiya Ki Tarah Choda

आज मैं मान सिंह राठौर आपको अपनी प्रेमिका की सहेली की सहेली की चुदाई बताए जा रहा हूँ जिसका नाम मिर्ज़ा राणा था | मैं अपनी प्रेमिका की सहेली से तो मिलटा रहता था पर जब मैं उसे चुदाई के लिए उत्तेजित करना शुरू किया तो उसने अपने प्रेमी के के होने का बहाना टाल दिया और मेरी मुलाकात अपनी एक सहेली यानी मिर्ज़ा से कराई और साथ – साथ मुझे यह भी बताया की उसे नए- नए लंड लेने का बहुत ही बड़ा चाकस है | मैं उसकी बात गौर फरमाते हुए काम को आगे बधान शुरू कर दिया |
कुछ दिनों में मेरी मिर्ज़ा से बात आगे बढती चली गयी और वो भी मेरे कामुक सम्बन्ध जोड़ें लिए तत्पर होती चली गयी | यूँ तो मैं उससे रोज उसके सेक्स जिंदगी के बारे में चर्चा कर लेता पर असली मौका तो मैंने उसके साथ एक होटल के बंद कमरे में ही पाया जहाँ मैंने उसे नंगी करा एक घोड़ी की तरह छोड़ा | होटल में ले जाते ही वो मेरा साथ खुद ही उत्तेजना भरे काम करने लगी | कभी वो मेरे हाथ को पकड़ लेती तो कभी अपने चुचों को दिखा देती जिससे ज़ाहिर तौर पर मैं उसके इरादों को समझ चूका था |
क्चुह देर बाद मैंने उससे अपनी और खींच लिया और उसकी गर्दन को चुमते हुए उसके चुचों को दबाने लगा | मैंने उसके दोंदो चुचों को एक ही लय में भींच रहा था और वो भी नीचे से मेरे लंड को पंसा रही थी | कुछ ही देर बाद मैंने उसके तोप को भी उतार दिया उसके चुचों को जमकर मस्त – मौला तरीके से चूसना शुरू कर दिया | धीरे – धीर अपनी उंगलियों को उसके चूचकों पर फिराने लगा जिसपर अब वो उत्तेजना में डूबती चली गयी और आआह्ह्ह्ह अहहह करके मदहोश होने लगी |
अब मैंने भी उसकी पैंट को उतार दिया और अपनी उंगलियां उसकी जाँघों तक पहुंचा कर उसकी जाँघों को सहलाने लगा | उसका रोम – रोम खड़ा हो चूका था और वो अपनी जाँघों को मेरे पैर पर चडा रही थी | मैं भी मस्त में उसकी खुजली दूर करने के लिए अपने पासे हुआ लंड को निकाल उसकी चुत को छेद पर टिका दिया | वो मज़े में तार हो चुकी थी की मैंने उसके पहते हुए भोंसडे में अपने लंड को आगे – पीछे कर शुरू कर दिया | मैंने करीब उसी तरह उसकी एक टांग को पदक हुए छोड़ा जिसके १५ मिनट बाद उसकी चुत का रस छूट गया |
अब मैंने उसे अपने सामने घोड़ी बन्ने को खा और पीछे से पहले कुछ देर उसकी चुत चाटी और उसे हमारी दूसरी पारी की चुदायी के लिए बिलकुल तैयार कर लिया | जब समय आगे बढ़ा तो मैंने फिर से अपने लंड को निकाला और उसकी चुत की खाल के बीच को अपने लंड को हौले से रगड़ते हुए उसकी चुत के छेड में देना शुर कर दिया | इस बार मैंने रफ़्तार धीमी ही रखी जोकि इस मुद्रा में काफी अच्छे तरीके से जांच रही थी | मैंने फिर अब झटके मारते हुए उसकी चुत को भी चोदें लगा और लगभग तेज कुत्ते वाली रफ़्तार में आधे घंटे तक छोड़ा और आखिर का अपना सारा माल उसके मुंह पर ही छोड़ दिया

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Mami Ki Khub Help Ki Chudai Me

मेरे मामा की शादी हुए दो साल हो चुके थे| पर दुख की बात ये थी की मामा-मामी को बच्चे नही हुए|
इस बात को लेकर ममी बहुत दुखी हुआ करती थी|
एक दिन सब लोग किसी काम से हैदराबाद चले गये| मेरी परीक्षाये थी इसलिए मै नही गया| और मामी भी मेरी देखभाल करने रुक गइ| घर पे सिर्फ हम दोनो ही थे|
मेरी मामी का फिगर बहुत सेक्सी था|
उस रात खाना खाने के बाद मै और मामी टीवी देखने लगे| मैने बातो-बातो मे ही पूछा, ”मामी! आपको अभी तक बच्चे क्यु नही हुए?”
पर वो चुप रही| थोडी देर बाद जब हम सोने जा रहे थे तो वो अचानक मेरा हाथ पकडकर रोने लगी| कारण पूछने पर उन्होने बताया कि मामाजी ना-मर्द है इसलिये उन्हे बच्चे नही हुए|
मुझे बहुत दुख हुआ| मैने उनसे पूछा कोई रासता है क्या| वो बोली ऑप्रेशन करना पडेगा| लेकिन उन्हे डर लग रहा था|
फिर मैने उनसे पूछा कि मै कुछ मदद कर सकता हू क्या| मामी बिना कुछ बोले कमरे मे जाकर सो गइ| तो मै भी उनके बगल मे ही सो गया|
रात के एक भजे मेरी नीन्द खुली| मैने देखा कि मामी रो रही थी| मुझे उनका रोना देखा नही गया|
मै उनके पास गया, उनको गले लगाया|
वो बच्चो के लिये बेताब थी!
वो भी मुझे गले लगाकर पूछी, ”मुझे बच्चे चाहिये| क्या तुम मेरी मदद करोगे?”
मैने झट से हा बोल दिया!
फिर मैने पूछा मुझे क्या मदद करना होगा| तो वो बोली मुझे उनके साथ सेक्स करना पडेगा!
अरे वाह!!! क्या मौका हाथ लगा था|
मै अंदर ही अंदर खुशी से झूम रहा था!
फिर हम दोनो बिसतर पर लेट गए| मै उनके होंटो को चूमने लागा और वो भी मजा लेने लगी थी|
फिर मैं उनके गले पर, पीठ पर चूमता रहा। फिर मैंने उनकी कमीज़ पूरी उतार दी, जिससे उसका गोरा बदन, उसकी गुलाबी रंग की ब्रा मेरे सामने आ गई। यह सब देख कर मेरा लंड फटा जा रहा था। फिर मैंने उनके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही चूसना शुरु किया और अपने हाथों से उनकी ब्रा खोल दी। जैसे ही मैंने ब्रा खोली, वो दो बड़े-बड़े स्तन छलांग लगा कर मेरे सामने आ गए। मैंने हल्के से उन्हें अपने हाथों में पकड़ा और जोर से दबा दिया और साथ मे अपने दांतों से उसके चुचूकों को काटने लगा, जिसकी वजह से उनके मुँह से आह की जोर से आवाज निकली…
फिर बहुत देर तक मैं उनके स्तन चूसता रहा…
फिर मैंने उनकी सलवार निकाल दी, उन्होने गुलाबी रंग की पैंटी पहनी थी जो अब आगे से भीग चुकी थी।
पहले तो मैंने उनकी पैंटी के आसपास अपनी जीभ घुमाई और फिर पैंटी के ऊपर जीभ घुमाने लगा। उन्हे बहुत अच्छा लग रहा था और वो मुँह से आह उम् ऊह्ह की आवाजें निकाल रही थी।
फिर मैंने अपने दांतों से पकड़ कर उनकी पैंटी निकाल दी और उनकी गीली गोरी चूत को देख कर पागल हो गया, मैंने अपनी जीभ जैसे ही उनकी चूत पर लगाई उन्होने मेरे बालों को खींच कर मुझे अपनी चूत के ऊपर दबा दिया और मुँह से सेक्सी आवाजें निकालने लगी।
मैंने बहुत बार ब्लू फिल्म में चूत को चाटते हुए देखा है लेकिन तब पहली बार ऐसा किया… मैं उनकी चूत को बहुत देर तक चूसता रहा। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में भी डाली और वो सेक्सी आवाजें निकालती गई…
फिर वो उठ गई और मेरा लंड बाहर निकाला और बिना हाथ लगाये सीधे मुँह में ले लिया। इतना अच्छा मुझे कभी नहीं लगा था…
वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर वो अपने मुँह को ऊपर नीचे करने लगी …. यह मेरा पहला ही सेक्स अनुभव था इसलिए दो मिनट में मैंने उनके मुँह झड गया और वो उसे ऐसे पी गई जैसे पानी हो…
गजब की बात तो मुझे यह लगी कि झडने के बाद भी मेरा लंड खड़ा का खड़ा था और वो उसे चूसे जा रही थी। उन्होने कहा, “अब मुझसे और सहा नहीं जा रहा, जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल दो!”
और यह कहते हुए वो बिस्तर पर लेट गई और अपने पैर फैला दिए। उनकी चूत को देख कर मैं उनके ऊपर आ गया और उन्होने अपने हाथों से मेरा लंड अपनी चूत पर रख लिया। फिर मैं अपना लंड अचानक ही उनकी चूत में घुसा दिया जिससे वो चीख उठी, मेरा अभी आधा लंड ही उसकी चूत में था, मैंने और जोर लगाया और उनकी चूत में पूरा घुसा दिया, जैसे ही पूरा अन्दर गया वो मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए.. फिर मैं उसे उस अवस्था में तब तक चोदता रहा जब तक झड नही गया।
उस बीच मैंने उनके होंठों को बहुत चूसा और उन्हे भी यह बहुत अच्छा लगता था तो वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।
चोदते-चोदते मैं उनके स्तन और चुचूक भी जोर से दबा रहा था लेकिन चुम्बन की वजह से वो चीख भी नहीं पा रही थी बस मुँह में ही आवाज निकाल रही थी। कुछ देर बाद वो मुझे जोर से चोदने को कहने लगी तो मुझे पता चल गया कि वो झड्ने वाली है।
मैं उसे जोर से चोदता रहा और उसने अपनी सांस रोक कर चूत मे ही झड गया।
सेक्स के बाद हम कपडे पेहेन लिये। फिर मामी ने कहा, ”इस बारे मे किसी को बताना मत।”
मै पागल हू जो किसी को बताउंगा???;););):)

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AAsha Ki Kahani

आसाम की हरी भरी वादियां और जवान दिलों का संगम… किसको लुभा नहीं लेगा। ऐसे ही आसाम की हरी भरी जगह पर मेरे पति का पद्स्थापन हुआ। हम दोनों ऐसी जगह पर बहुत खुश थे। हमे कम्पनी की तरफ़ से कोई घर नहीं मिला था, इसलिये हमने थोड़ी ही दूर पर एक मकान किराये पर ले लिया था… उसका किराया हमें कम्पनी की तरफ़ से ही मिलता था। मेरे पति सुनील की ड्यूटी शिफ़्ट में लगती थी। घर में काम करने के लिये हमने एक नौकरानी रख ली थी। उसका नाम आशा था। उसकी उम्र लगभग 20 साल होगी। भरपूर जवान, सुन्दर, सेक्सी फ़िगर… बदन पर जवानी की लुनाई … चिकनापन … झलकता था।

सुनील तो पहले दिन से ही उस पर फ़िदा था। मुझसे अक्सर वो उसकी तारीफ़ करता रहता था। मैं उसके दिल की बात अच्छी तरह समझती थी। सुनील की नजरें अक्सर उसके बदन का मुआयना करती रहती थी… शायद अन्दर तक का अहसास करती थी। मैं भी उसकी जवानी देख कर चकित थी। उसके उभार छोटे छोटे पर नुकीले थे। उसके होठं पतले लेकिन फ़ूल की पन्खुडियों जैसे थे।

एक दिन सुनील ने रात को चुदाई के समय मुझे अपने दिल की बात बता ही दी। उसने कहा -"नेहा… आशा कितनी सेक्सी है ना…"

"हं आ… हां… है तो …… जवान लडकियां तो सेक्सी होती ही है…" मैं उसका मतलब समझ रही थी।

"उसका बदन देखा … उसे देख कर तो... यार मन मचल जाता है……" सुनील ने कुछ अपना मतलब साधते हुए कहा।

"अच्छा जी… बता भी दो जानू… जी क्या करता है……" मैं हंस पड़ी… मुझे पता था वो क्या कहेगा…

"सुनो नेहा … उसे पटाओ ना … उसे चोदने का मन करता है…"

"हाय… नौकरानी को चोदोगे … पर हां …वो चीज़ तो चोदने जैसी तो है…"

"तो बोलो … मेरी मदद करोगी ना …"

"चलो यार …तुम भी क्या याद करोगे … कल से ही उसे पानी पानी करती हूं……"

फिर मै सोच में पड़ गयी कि क्या तरीका निकाला जाये। सेक्स तो सभी की कमजोरी होती ही है। मुझे एक तरकीब समझ में आयी।

दूसरे दिन आशा के आने का समय हो रहा था…… मैने अपने टीवी पर एक ब्ल्यू हिन्दी फ़िल्म लगा दी। उस फ़िल्म में चुदाई के साथ हिन्दी डायलोग भी थे। आशा कमरे में सफ़ाई करने आयी तो मै बाथरूम में चली गयी। सफ़ाई करने के लिये जैसे ही वो कमरे के अन्दर आयी तो उसकी नजर टीवी पर पडी… चुदाई के सीन देख कर वो खडी रह गयी। और सीन देखती रही।

मैं बाथरूम से सब देख रही थी। उसे मेरा वीडियो प्लेयर नजर नहीं आया क्योंकि वह लकडी के केस में था। वो धीरे से बिस्तर पर बैठ गयी। उसे पिक्चर देख कर मजा आने लग गया था। चूत में लन्ड जाता देख कर उसे और भी अधिक मजा आ रहा था। धीरे धीरे उसका हाथ अब उसके स्तनो पर आ गया था.. वह गरम हो रही थी। मेरी तरकीब सटीक बैठी। मैने मौका उचित समझा और बथरूम से बाहर आ गयी…

"अरे… टीवी पर ये क्या आने लगा है…"

"दीदी… साब तो है नहीं…चलने दो ना…अपन ही तो है…"

"अरे नहीं आशा… इसे देख कर दिल में कुछ होने लगता है…" मैं मुस्करा कर बोली

मैने चैनल बदल दिया… आशा के दिल में हलचल मच गयी थी … उसके जवान जिस्म में वासना ने जन्म ले लिया था।

"दीदी… ये किस चेनल से आता है …"उसकी उत्सुकता बढ रही थी।

"अरे तुझे देखना है ना तो दिन को फ़्री हो कर आना … फिर अपन दोनो देखेंगे… ठीक है ना…"

"हां दीदी…तुम कितनी अच्छी हो…" उसने मुझे जोश में आकर प्यार कर लिया। मैं रोमांचित हो उठी… आज उसके चुम्बन में सेक्स था। उसने अपना काम जल्दी से निपटा लिया… और चली गयी। तीर निशाने पर लग चुका था।

करीब दिन को एक बजे आशा वापस आ गयी। मैने उसे प्यार से बिस्तर पर बैठाया और नीचे से केस खोल कर प्लेयर में सीडी लगा दी और मैं भी बिस्तर पर बैठ गयी। ये दूसरी फ़िल्म थी। फ़िल्म शुरू हो चुकी थी। मैं आशा के चेहरे का रंग बदलते देख रही थी। उसकी आंखो में वासना के डोरे आ रहे थे। मैने थोडा और इन्तजार किया… चुदाई के सीन चल रहे थे।

मेरे शरीर में भी वासना जाग उठी थी। आशा का बदन भी रह रह कर सिहर उठता था। मैने अब धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रखा। उसकी धडकने तक महसूस हो रही थी। मैने उसकी पीठ सहलानी चालू कर दी। मैने उसे हल्के से अपनी ओर खींचने की कोशिश की… तो वो मेरे से सट गयी। उसका कसा हुआ बदन…उसकी बदन की खुशबू… मुझे महसूस होने लगी थी। टीवी पर शानदार चुदाई का सीन चल रहा था। आशा का पल्लू उसके सीने से नीचे गिर चुका था… मैने धीरे से उसके स्तनों पर हाथ रख दिया… उसने मेरा हाथ स्तनों के ऊपर ही दबा दिया। और सिसक पडी।

"आशा… कैसा लग रहा है…"

"दीदी… बहुत ही अच्छा लग रहा है…कितना मजा आ रहा है…" कहते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा … मैने उसकी चूंचियां सहलानी शुरू कर दी… उसने मेरा हाथ पकड लिया…

"बस दीदी… अब नहीं …"

"अरे मजे ले ले … ऐसे मौके बार बार नहीं आते……" मैने उसके थरथराते होंठों पर अपने होंठ रख दिये… आशा उत्तेजना से भरी हुयी थी। आशा ने मेरे स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे दबाने लगी। मैने उसका लहंगा ऊपर उठा दिया… और उसकी चिकनी जांघों पर हाथ से सहलाने लगी… अब मेरे हाथ उसकी चूत पर आ चुके थे। चूत चिकनाई और पानी छोड रही थी। मेरे हाथ लगाते ही आशा मेरे से लिपट गयी। मुझे लगा मेरा काम हो गया।

"दीदी… हाय… नहीं करो ना … मां…री… कैसा लग रहा है…"

मैने उसकी चूत के दाने को हल्के हल्के से हिलाने लगी…। वो नीचे झुकती जा रही थी… उसकी आंखे नशे में बन्द हो रही थी।

उधर सुनील लन्च पर आ चुका था। उसने अन्दर कमरे में झांक कर देखा। मैने उसे इशारा किया कि अभी रुको। मैने आशा को और उत्तेजित करने के लिये उससे कहा - "आशा … आ मैं तेरा बदन सहला दूं…… कपड़े उतार दे …"

"दीदी … ऊपर से ही मेर बदन दबा दो ना…" वो बिस्तर पर लेट गयी। मैं उसके उभारों को दबाती रही…उसकी सिसकियां बढती रही… मैने अब उसकी उत्तेजना देख कर उसका ब्लाऊज उतार दिया… उसने कुछ नहीं कहा… मैने भी यह देख कर अपने कपडे तुरन्त उतार दिये। अब मैं उसकी चूत पर अपनी उंगली से दबा कर सहलाने लगी… और धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। उसके मुख से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी…

"आशा … हाय कितना मजा आ रहा है… है ना…"

"हां दीदी… हाय रे… मैं मर गयी…"

"लन्ड से चुदोगी आशा… मजा आयेगा…"

"कैसे दीदी … लन्ड कहां से लाओगी…"

"कहो तो सुनील को बुला दूं … तुम्हे चोद कर मस्त कर देगा"

"नहीं …नहीं … साब से नहीं …"

"अच्छा उल्टी लेट जाओ … अब पीछे से तुम्हारे चूतड़ भी मसल दूं…"

वो उल्टी लेट गयी। मैने उसकी चूत के नीचे तकिया लगा दिया। और उसकी गान्ड ऊपर कर दी। अब मैने उसके दोनो पैर चौड़ा दिये और उसके गान्ड के छेद पर और उसके आस पास सहलाने लगी। वो आनन्द से सिसकारियां भरने लगी।

सुनील दरवाजे के पास खडा हुआ सब देख रहा था। उसने अपने कपड़े भी उतार लिये। ये सब कुछ देख कर सुनील का लन्ड टाईट हो चुका था। उसने अपना लन्ड पर उंगलियों से चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगा। मैं आशा की गान्ड और चूतडों को प्यार से सहला रही थी। उसकी उत्तेजना बहुत बढ चुकी थी। मैने सुनील को इशारा कर दिया… कि लोहा गरम है…… आ जाओ…।

सुनील दबे पांव अन्दर आ गया। मैने इशारा किया कि अब चोद डालो इसे। उसके फ़ैले हुये पांव और खुली हुयी चूत सुनील को नजर आ रही थी। ये देख कर उसका लन्ड और भी तन्नाने लगा । सुनील उसकी पैरों के बीच में आ गया। मैं आशा के पीछे आ गयी… सुनील ने आशा के चूतडों के पास आकर लन्ड को उसकी चूत पर रख दिया। आशा को तुरन्त ही होश आया…पर तब तक देर हो चुकी थी। सुनील ने उस काबू पा लिया था। वो उसके चूतडों से नीचे लन्ड चूत पर अड़ा चुका था। उसके हाथों और शरीर को अपने हाथों में कस चुका था।

आशा चीख उठी…पर तब तक सुनील का हाथ उसका मुँह दबा चुका था। मैने तुरन्त ही सुनील का लन्ड का निशाना उसकी चूत पर साध दिया। सुनील हरकत में आ गया।

उसका लन्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। चूत गीली थी…चिकनी थी पर अभी तक चुदी नहीं थी। दूसरे ही धक्के में लन्ड गहराई में उतरता चला गया। आशा की आंखे फ़टी पड़ रही थी। घू घू की आवाजें निकल रही थी। उसने अपने हाथों से जोर लगा कर मेरा हाथ अपने मुह से हटा लिया। और जोर से रो पडी… उसकी आंखो से आंसू निकल रहे थे… चूत से खून टपकने लगा था।

"बाबूजी … छोड दो मुझे… मत करो ये……" उसने विनती भरे स्वर में रोते हुये कहा। पर लन्ड अपना काम कर चुका था।

"बस…बस… अभी सब ठीक हो जायेगा… रो मत…" मैने उसे प्यार से समझाया।

"नहीं बस… छोड़ दो अब … मैं तो बरबाद हो गयी दीदी… आपने ये क्या कर दिया…" वो नीचे दबी हुयी छटपटाती रही। हम दोनों ने मिलकर उसे दबोच लिया। दबी चीखें उसके मुह से निकलती रही। सुनील ने लन्ड को धीरे धीरे से अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया।

"साब…छोड़ दो ना … मैं तो बरबाद हो गयी…… हाऽऽऽय…" वो रो रो कर… विनती करती रही। सुनील ने अब उसकी चूंचियां भी भींच ली। वो हाय हाय करके रोती रही …नीचे से अपने बदन को छटपटाकर कर हिलाती कर निकलने की कोशिश करती रही। लेकिन वो सुनील के शरीर और हाथों में बुरी तरह से दबी थी। अन्तत: उसने कोशिश छोड दी और निढाल हो कर रोती रही।

सुनील ने अपनी चुदाई अब तेज कर दी … उसका कुंवारापन देख कर सुनील और भी उत्तेजित होता जा रहा था। धक्के तेजी पर आ गये थे। कुछ ही देर में आशा का रोना बन्द हो गया … और अन्दर ही अन्दर शायद उसे मस्ती चढने लगी…

"हाय मैं लुट गयी… मेरी इज़्ज़त चली गयी…।" बस आंखे बन्द करके यही बोलती जा रही थी… नीचे तकिया खून से सन गया था। अब सुनील ने उसकी चूंचियां फिर से पकड ली और उन्हे दबा दबा कर चोदने लगा। आशा अब चुप हो गयी थी… शायद वो समझ चुकी थी कि उसकी झिल्ली फ़ट चुकी है और अब बचने का भी कोई रास्ता नही है। पर अब उसके चेहरे से लग लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है। मैने भी चैन की सांस ली…।

मैने देखा कि सुनील का लन्ड खून से लाल हो चुका था। उसकी कुँवारी चूत पहली बार चुद रही थी। उसकी टाईट चूत का असर ये हुआ कि सुनील जल्दी ही चरमसीमा पर पहुंच गया। अचानक नीचे से आशा की सिसकारी निकल पडी और वो झड़ने लगी। सुनील को लगा कि आशा को अन्तत: मजा आने लगा था और वो उसी कारण वो झड़ गयी थी।

अब सुनील ने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और अपनी पिचकारी छोड दी। सारा वीर्य आशा के चूतडों पर फ़ैलने लगा। मैने जल्दी से सारा वीर्य आशा की चूतडों पर फ़ैला दिया। सुनील अब शान्त हो चुका था।

सुनील बिस्तर से नीचे उतर आया। आशा को भी चुदने के बाद अब होश आया… वो वैसी ही लेटी हुई अब रोने लगी थी।

"बस अब तो हो गया … चुप हो जा…देख तेरी इच्छा भी तो पूरी हो गयी ना…"

"दीदी… आपने मेरे साथ अच्छा नहीं किया… मैं अब कल से काम पर नहीं आऊंगी…" वो उठते हुये रोती हुई बोली… उसने अपने कपडे उठाये और पहनने लगी… सुनील भी कपडे पहन चुका था।

मैने सुनील को तुरन्त इशारा किया … वो समझ चुका था… जैसे ही आशा जाने को मुडी मैने उसे रोक लिया…"सुनो आशा… सुनील क्या कह रहा है……"

"आशा … मुझे माफ़ कर दो … देखो मुझसे रहा नही गया तुम्हे उस हालत में देख कर… प्लीज…"

"नहीं… नहीं साब… आपने तो मुझे बरबाद कर दिया है … मैं आपको कभी माफ़ नहीं करूंगी…" उसका चेहरा आंसुओं से तर था।

सुनील ने अपनी जेब से सौ सौ के दो नोट निकाल कर उसे दिये…पर उसने देख कर मुह फ़ेर लिया… उसने फिर और सौ सौ के पाँच नोट निकाल दिये… उसकी आंखो में एकबारगी चमक आ गयी… मैने तुरन्त उसे पहचान लिया। मैने सुनील के हाथ से नोट लिये और अपने पर्स से सौ सौ के कुल एक हज़ार रुपये निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिये। उसका चेहरा खिल उठा।

"देख … ये साब ने गलती की ये उसका हरज़ाना है… हां अगर साब से और गलती करवाना हो तो इतने ही नोट और मिलेंगे…"

"दीदी … मैं आपकी आज से बहन हूं… मुझे पैसों की जरूरत किसे नहीं होती है…" मैने उसे आशा को गले लगा लिया…

"आशा …… माफ़ कर देना… तू सच में आज से मेरी बहन है… तेरी इच्छा हो … तभी ये करना…" आशा खुश हो कर जाने लगी… दरवाजे से उसने एक बार फिर मुड़ कर देखा … फिर भाग कर आयी … और मेरे से लिपट गयी… और मेरे कान में कहा, "दीदी… साब से कहना … धन्यवाद…"

" अब साब नहीं ! जीजाजी बोल ! और धन्यवाद किस लिये …… पैसों के लिये …"

" नहीं … मेरी चुदाई के लिये…"

वो मुड़ी और बाहर भाग गयी…… मैं उसे देखती रह गयी… तो क्या ये सब खेल खेल रही थी। मेरी नजर ज्योंही मेज़ पर पड़ी तो देखा कि सारे नोट वहीं पड़े हुए थे … सुनील असमंजस में था…

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Sunday 15 March 2015

Anjali Ki Gand Chudai Or Maa Chudai

Hi friends my name is Amit I am from Jaipur, Rajasthan and now
staying in Tamil nadu without wasting your time I will start my story in
Hindi ab aap apna lund or chut sambhal ke rakhiye q ki jaldi he aap
garam hone wale h ye baat aaj se 3 saal purani h mai 1st yr mai tha sex
karne ki kuch jyada he icha thi par pehli gf se mera break up ho gaya
tha so bus muth mar kar he kaam chalana padta tha fir meri friendship
anjali naam ki ladki se hui vo kolkata se thi thode dino mai hum

Ache friend ban gae mai bahut he sweet n bacha type lagta hu, dhire
dhire usse mujh par trust hone laga or wo mujh se har baat share karne
lagi usne bataya ki uska ek bf h to mujhe thoda bura laga q ki mai usse
pasand karne laga thi phir hum raat mai phone pe baatein karne lage. ek
din maine usse pucha ki kya hum sex ke bare mai baat kar sakte h pehle
to vo thoda naraj ho gai or fir gud night bol kar phone kaat diya mujhe
laga ki sayad maine usse hurt kar diya h to maine usse sory sms bhej
diya.

agle din uska col aaya or usne kaha ki vo naraj nahi h or jab tak
meri gf nai ban jati hum sex ki baatein kar sakte h maine usse pucha ki
kya usne uske bf ke sath sex kiya h to usne kaha ki intercorse(fucking)
ke alawa usne sab kiya h, fir daily hum sex chat karne lage, ek din
maine usse pucha ki yadi mai kolkata aau to vo mujhe ghumne mai help
karegi kya to vo khus ho gai or bolne lagi ki vo pura din mere sath
spend karegi jab tak mai kolkata mai rahunga

Maine ye bahi puch liya ki tum mujhe hug n kiss karne dogi to usne
kaha ki jab hum akele honge to kar lena mai dec mai kolkata gaya sardi
ka mousam tha around 2pm mai howrah station pahcha maine anjali ko col
kiya or vo meri boogi ke pass aa gai dosto usse dekh kar mera lund to
pagal he ho gaya. kya maal thi saali mote mote boobs, badi badi aakhein,
gora gora face baap re baap apsara lag rahi thi,

Humne haat milaya or usne kaha ki usne ,ere liye room book kar liya
h. hum hotel pahuche or room mai jate he maine usse kaha anjali can I
hug u, usne kaha kar lo yr maine usse tight hug kiya or bed pe let gae, 2
min tak totally silence fir maine pucha anjali can i kiss u usne sir
hilaya or maine usse pehle neck pe fir cheeks pe n last mai smootch diya
yr kya experiance tha lag raha tha jannat mai aa gaya hu

Fir usne kaha ki usse ghar jana padega vo 2 hour ke baad aaegi mai
udas ho gaya to vo mere pass aayi mujhe kiss kiya or kaha mai aaj
tumhare sath he rahungi udas mat ho or vo chali gai thodi der baad mere
pass anjali ka msz aaya usme likha tha ki amit u r so sweet n cute love
you dear mai to khusi se uchal pada mai bathrum gaya or fresh hokar
teyaar ho gaya thodi der baad he anjali aa gai usne red top n blue jeans
pehna tha yaaroo bilkub pari lag rahi thi thodi der idhar

Udhar ki baat ki fir maine pucha ki mai such mai sweet hu kya usne
kaha tum bahut sweet ho maine uska haat pakda or apni taraf ke hech liya
or kehne laga anjali i love u yaar u r so gorgeous she replied amit i
love u too fir kya tha hum ek dusre ko kiss karne lag gae vo bahut garam
ho chuki thi maine skumote mote boobs press kiye par usne kuch nahi
kaha to meri himmat bad gai fir hum ek dusre se chipak kar kiss karne
lage maine uska top utar diye vo kuch

Nai boli usne black bra pehni thi yr kya lag rahi thi boobs to bahar
aane ko tadap rahe the maine bra ko bhi nikal diya or uske right boobs
ko suck karne laga or left ko press kar raha tha vo dhire dhire pagal ho
rahi thi. main uske nipples ko cut kar raha tha fir maine uski jeans
nikal di usne pink panty pehni thi uski panty puri gili ho chuki thi
maine uski panty bhi nikal di pehli baar maine kisi ladki ko nanga degha
tha uski chut pe koi baal nahi tha sayad usne subah he save kiya

Tha mai niche jhuka or uski chut pe kiss karne laga vo siskariya le
rahi thi mai uski pussy suck karne laga vo kehe laki amit ohh yaaaa
ohhhhh fuck mee fuck me Amit mai kutte ki tarah uski pussy suck kar raha
tha thodi der baad uska bani bahar aa gaya or maine uska pani pi liya
yr uska taste thoda sadiyal tha par maja aa gaya fir usne mere kapde
utar diye or mera dick suck karne lagi whhh kitna acha suck karti h vo
fir mai apne dick ko uske boobs ke beech ragadne laga

Maine usse pucha ki kya mai usse chod sakta hu to usne kaha ki vo
apni virginity loose nai karna chati isliye vo nahi kar paegi to maine
kaha chalo mai tumhari gand mar leta hu usse tumhari virginity b nahi
jaegi or maja b aa jaega pehle mana karne ke baad vo maan gai mai uske
gand ke ched ko suck karne laga fir waha cream lagai or lund uske ched
mai dalne laga uski gand ka ched bahut tight tha maine thoda tej dhaka
maara or mera aadha lund uski gand mai chala gaya uski to cheekh nikal
padi vo mujhe bolne lagi amit rehne do mujhe nahi karna bahar nikalo
isse maine

Kaha anjali pehle thoda dard hoga fir maja aane wana h or usse kiss
karne laga jab uska dard kam hone laga to main apna lund andar bahar
karne laga vo bhi mast ho gai thi or apni gand hilla hilla kar mara rahi
thi thodi der baad hum discharge ho gae or ek dusre se lipatar kiss
karne lage agle part mai aapko bataunga ki kaise anjali apni virginity
loose karne ko tayar hui or kaise maine anjali ki maa ko seduce kiya
yadi aapko meri story acchi lagi ho to please mujhe mail kare mai kise
bhi age ki ladki ko satisfied kar sakta hu aapka amit sunny2coolyaha@gmail.com

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Customer Care Wali Ladki Ko Chudi

Sbse pehle apne baare me bta du. Mera naan aryan h. Meri height 5’11″
h. Aur mera lund 8″ ka hai. Abhi main graduation kr raha hu. 12th aur
2nd yr tk meri ek gf thi. Bt fir usse break up ho gya tha. Colg ke 3rd
yr me sex ki kami ki wajah se mujhe har tarah ki ladkiyan aur auntiyan
pasand ane lagi.main ek mall pe roj jana aur ladkiyon aur auntiyon ko
dkhte dkhte mujhe ass kuch jyada hi pasand ane lagi thi.

Matakti gaand dkhte hi mera tan jata tha. Ek din mera phone kharab ho
gya. To main mall pe hi customre care gaya. Token le ke main baitha hua
tha aur apne no. Ka wait kr raha tha. Tbhi maine dkha wahan 3 counters
the. 2 counters pe male workers the aur ek counter pe female worker thi.
Uska naam bd me btata hu. Maine dekha wo thodi si moti thi. Bt uske
boobs bahut bde the.

Customer care walon ki uniform kafi fit thi. Isi wajah se uske boobs
fat ke bahar a rahe the. Mera no. Tb tk nahi aya tha. Main bhagwan se
pray krne laga ki mera no. Uski ke counter pe aye. Mera no. Ane me 2
bnde bki the tbhi wo apni seat se uth gyi aur side wale counter pe kuch
discus krne chali gyi. Ab wo jaise khadi thi. Mujhe uski bra ki strip
aur uski sexy si moti gaand dikh rahi thi. Uski pant uski gaand ke crack
me ja rahi thi. Mera 8″ ka lund tbi khada ho gya.

Mera mann kar raha tha abi peeche se jake uski gaand me apna lund
daal du. Bt fir ek dum se muje tension hui ki mera no. To ane wala h.
Agar wo waapis nahi baithi to main kya karunga. Bt jaise bhagwan ko kuch
aur hi manjur tha. Mera no. Jaise hi aya sirf uska counter khaali tha.
Main wahan jaake baith gya. Usne pucha “yes sir, how cn i help you? “.
Maine kaha “shilpa, actually mere no.

Pe unwanted service subscribe ho gyi h. Mujhe wo bnd krani h”. Wo
shocked ho gyi aur boli ” apko mera naam kaise malum”. Maine uske boobs
ke upar lagi Nameplate pe ishara kar diya. Wo sharmayi aur muskura di.
Fir usne meri problem solve ki aur thankyou bola. Main pareshaan sa
wapis a gya. Us raat maine ghar ate hi masturbate kiya shilpa ke baare
me sochte hue. Puri raat aur agle din dopahar tk main uske bre me sochta
raha.

Fir maine plan bnaya ki kaise shilpa ko patau. Ab main roj ek service
subscribe krta aur vodafone cust. Care pahuch. Jyata. Aise krte krte
mujhe 7 din ho gye. Bt main shilpa se kuch jyada bt krne ki himmat nahi
juta paya. Halaanki 4th day ke bd jb bi main jata wo muskura dti thi.
Finally ek hafte bd main 2-3 din tk cust care nahi gya. 3 din bd jb
wapis pahucha to wo has padi.

Aur boli “kya hua aryan? 3 din tk aye nahin”. Main bi has diya aur
bola” shilpa, ye to bahana tha, kya tum mere sath ek coffee share krna
chahogi”. Wo muskurayi aur boli ” itne ache customer ko naa nahi bolte”.
Usne lunch break me ccd me milna ka wada kiya. Lunch Break wo ayi. Aur
hamne khub baatein kari. Agle ek hafte tk hum roj lunch break me coffee
peete aur bt krte. Hamari achi frndshp ho gyi thi.

Sunday ko maine usse muvie chalne ko pucha usne haan kr di. Hum
‘race’ picture dkhne ja rahe the. Usne white punjbi suit pehna tha. Wo
bahut sexy lag rahi thi. Muvie me kafi hot scenes the. Aise hi ek
bipasha aur saif ke scene maine uski taraf dkha to wo muskura di. Muvie
khatm hote hote raat ke 9 bj gye the. Hmne fir pizza hut me khana khaya
aur baatein krte krte kb 10:30 ho gye hamein pta hi nahi chala. Jaise hi
shilpa ne watch dkhi wo buri tarah ghabra gyi.

Aur kehne lagi ki uski pg wali aunty usse bahut daantegi. Maine usse
kafi samjhaya bt wo rone lagi. To maine usse kaha ki tum unhe keh do ki
aj tum apni ek frnd ke yahan ruk rahi ho, aur mere ghar ruk jana. Kyunki
hum sirf dost the to usse dikkat bi nahi hui. Shilpa ne aisa hi kiya.
Ab jb hum ghar a rahe the to Monsoon hone ke karan baarish hone lagi.
Dheere dheere baarish itni bdh gyi ki ghar pahuchte pahuchte hum puri
tarah bheeg gye the.

Ghar pe light bi gyi hui thi. Maine mobile ki roshni mein taala khola
aur shilpa ko andar chalne ko bola. Darwaja bnd krke main jaise hi
andar aya aur shilpa ko dkhne ke liye light mari. To maine dkha ki wo
apni chunni nichod rahi thi. Bheege hone ki wajah se aur white suit ki
wajh se uski black bra saf dikh rahi thi. Uski kameej uske badan se
chipak gyi thi aur uska pet aur navel saaf dikh rahe the. Mera lund to
tan gya.

Man me aya aj iska rape kar deta hu. Bt tbhi low bttery ki wajah se
mera phone bi bnd ho gya. Maine usse kaha me towel aur apne shorts and
tshrt de dta hu. Tum andar wale room me change kr lena. Andhera hone ki
wajah se maine towel dhundhne ke bahane pura nanga ho gya. Usse towel
pakdate waqt maine jaanbhujh ke apna hath uske boobs ke bhi laga diya.
Shilpa boli “main change kr leti hu itne tum koi candle dhundh lo.

Maine shararat main kaha “candle ki kya jarurat h. Main hoo jb yaha
pe” , aur has pada. Wo bi has padi aur besharam bol ke room me jane
lagi. Mere room me jane ke do darwaje hain. Main chup chap se doosre
darwaje se andar ghus gya. Usne dheere se apni kameej utari aur fir
salwar kholne lagi. Mujh uski garam saanse mehsus ho rahi thi. Abi wo
bra kholne hi lagi thi ke ek dum se light a gyi.

Ab wo khadi thi sheeshe ke aage aur main bilkul uske piche. Isse
pehle ki wo kuch bolti maine usko piche se jakad liya aur apna lund uski
gaand me ragdne lg gya. Wo ghabra gyi aur boli ye kya kar rahe ho.
Maine kaha “shilpa, i love you. Pehle din se. Aj to tumhe mera hona
padega.” wo ghabra gyi aur diwar se chipak ke khadi ho gyi. Main uske
saamne pura nanga khada tha.

Main bi uske chipak gya aur usse chumne laga. Usko hotho ko chusne
laga.aur ek hath Uski panty ke upar se ragdne laga. Shilpa ka figure
36-28-34 hoga. Aur wo gori si black bra panty me super hot lag rahi thi.
Main usse kis kare ja raha tha. Aur i love you bole ja raha tha.
Baarish ki thandak aur nange sharir ne kb usse bi garam kar diya pat hi
nahi chala. Aur wo bi muje chumne lagi aur mere lund pe hath ferne lagi.

Maine use dhakka deke bed pe lita diya. Aur jaldi jaldi uski bra aur
panty faad di. Ab wo gori pyaasi randi ki tarah nangi padi thi. Uski
chut pe kafi baal the jo geeli panty ki wajah se chamak rahe the. Maine
uski chut main apne muh rakh diya aur chatne laga. Wo tadap uthi aur
awaajein nikalnd lagi “aahh ahh ohh aryan aj meri chut ko apni garmi se
bhar do. Ahhhhh”. Main 15 min tk uski chut chusta raha aur fir jhad gyi.

Aur fir mera lund choosne lagi. Kafi samay se bechain jaise hi usne
apna hath mere lund pe lagaya aur chusne lagi. Main to jaise paagal ho
gya. 10 min Bd hi main bi uske muh me jhad gya. Usse mera muth chat ta
dkh mera lund fir khada ho gya. Uske pink bde nippals, geele baal aur
nange badan pe chunni dkhte hi. Main uspe kud pada. Maine uski chunni
hatayi aur uski chut pe apna land lagaya aur ek jor ka jhatka de mara.

Wo mana karti reh gyi aur mera 8″ ka lund adha uski chut me ghus gya.
“aryannnn ahahahah. Nahiiiiii “. Maine ek aur jhatka mara aur mera pura
lund ab meri shilpa me tha wo ro padi. Main thodi der ruka aur fir
dheere apna lund andar bahar karne laga. Ab usse bi maja a raha tha.
“chodo aur tej. Ahh ahhh. Iii lloovvee yyoouu..mujhe apni randi bna lo”
15 min tak pelne ke bd main shilpa ki chut me hi jhad gya.

Fir hum nange hi so gye. Subah wo jb uthi to usne apni chunni lapeti
aur kitchen me jane lagi. Uski hilti matakti gaand dkh kr mera fir khada
ho gya. Wo kitchen me gyi to maine chupke se vaseline apne lund pe
lagayi aur uske piche piche Kitchen me pahuch gya isse pehle wo kuch
samajhti maine tel uthaya aur uski gaand ke ched me daal diya aur
ghachakk mera lund uski gaand me fisalta chala gya wo chilla uthi “oooii
maa main to mar gyi” wo chilla hi raì thi ke maine uske hotho ko chum
liya aur uske bobe dabane laga.

Jb wo thodi shant hui to maine apna lund andar bahar krna chalu kr
diya. Dheere dheere wo bi apni gaand aage piche karne lagi. 20 min tk
pelne ke bd main jhad gya aur wo wahi kitchen me let gyi. Uss din wo
kaam pe nahi gyi kyunki wo chalne layak nahi bachi thi. Us din maine
shilpa ko kayi bar choda. To apko kaisi lagi meri daastan. Btana jarur.
Agar koi bi ladki ya aunty kisi bi umr ki mujhse sex chat krna chahe ya
chudwana chahe to mera emailid h
dyingindia@gmail.com

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Train Main Married Lady Ko Choda

Hii Dear All horny wild ladys n all Friends mera naam Aarush khan hai
main delhi ka rehne wala hun meri age 29m hai i have gud cock 8 inch n
3inche se mota hai dosto baat aj se 1 week pehle ki hai doston mujhe
apne bussn trip par mumbai jana thaa maine apni train ki tickt Agust
Kranti Rajdhani main book karwai jo Nizamuddin Rly station se everyday
4:55pm chalti hai mei tickt AC first Class ke H-1 coach main hui dosti
jis cupe main meri seat reaserv hui usmian sirf 2 he

Seat thi or main chudai ke Eisi cupe main kaise wo main apko ziada
bore na karte huye batata hun jaiska kia apko malum hai main mumbai
jaraha tha wagera wagera dosto main jab apne coach main gaaya to wanha
maine dekha ki ek married lady around age of her 35 gud fitness main
normaly ain apni seat par ja kar baith gaya n train apne time ke
according chalne lagi tabhi us lady ne baat shuru ki kanha se ho kanha
ja rahe ho maine usko bata bussn trip par ja raha hun

Delhi ka rehne wala hun n maine usse malum kiaa to usne bataya ki wo
apne mom dad se Vapi Gujrat Milne Jarahi hai tabhi maine Pucha apke
bacche nahi aye so usne bola ki wo apne dad ke sath Ghar par hain us
lady ka ghar delhi ke Rohini main thaa jab usne Rohini ka naam bataya so
main khush Hua coz main b hi rohini ke pass ka he rehne wala hun kuch
der hum dono main baat chalti rahi n baat hansi mazak par agai tabhi
bataon baton main aunty ne malum kiaa

Tumhari koi gf hai maine kaha haan hai n wo muskurai so maine normaly
malum kiaa aunty ap smile kiun kar rahi hain so wo boli aise hain main
kafi force kiaa so unhone mujhe bola ki main samjh rahi thii ki tum bhi
aur ladkon ki tarhna kahoge ki tumhari koi gf nahi hai but tumne to bola
hai phir aunty ne kaha kuch kiaa hai apne Gf ke sath kabhi ya nahi
maine kaha haan kiaa hai maine apni gf ke sath phir wo mujhe se malum
karne lagi kiaa kiaa hai tumne maine kaha sab

Kuch jab wo he mujhe se baat karne main nahi sharma rahi thii to main
kiun sharmaun maine bolo aunty maine usko many time fuck kiaa hai n
usko fuk karkne main bohat mazaa ata hai aunty ne kaha kiaa kakarte ho
uske saath maine kaha ki main sab se pehele uske lips ko ragdam patti
karta hun ggggghrrrp phir uske nipple ko chusta hun n uski choot ko jab
tak chat ta hun jab tak wo jhard na jaye n jhardne ka baad ain use
chodta hun ahista ahista main aunty se open hota

Jaraha thaa na pata nahi chala ki ki kab maine aunty ke bobs par apna
hath rakh diyaa hai n sudnnly aunty ne kaha yeh kiaa karhe ho maine
kaha kuch nahi n main uske pass se hath gaya n humne raat ka khana
kahaya or apni apni seat par rest karne lage raaat ko takriban 10:30pm
ka time hoga maine aunty ki kuch siskariyaa suni n unhohe chadar aud
rakhi thii or wo apni chut ko masal rahi thii main loha garm hone ka
wait kar raha thaa aur wo time aya bhii jaab aunty ke

Awazain mujhe ziada ane lagi tum maine achanak jakr unki choot ko
shalwar utarke chatne laga n unse kuch bolte nahi bana n main unki choot
ko chatne laga ssssrrrrrrpp cccchuuus sssrrrrrppppp ummmmm please lick
me fast fast lick main aur main lagatar unki choot ko chat raha thaa
maine unke sare kapde utardiyee thye doston married lady ko chodne main
jo maza hai wo kisi main nahi hai n main bhi nanga hogaya aunty ne jab
mer mota lamba cut skin lund dekha

To wo dekhkar aur pagal hogai n unhone suddnly mera lund apne muh
main leliya n ab hum birth par na hokar train ke farsh par thye main
aunty ki choot chat raha thaa n aunty mera lund as 69 postion sssrppppp
mmm aunty tabhi achanak mera sir apni dono tangon ke bich main fasa
liyaa main samjha aunty ki choot dhili pad gai hai but aisa nahi thaa
aunty to choot chatwane ka maza le rahi thiii n aunty sath sath bol rahi
thiii aarush aj tak itna maza kabhi nahi aya choot to

Mera hubby bhi chat ta hai but tumhare chatne ka andaz he alag hai n
main aur josh main agaya phir main aunty ko kaha ki main niche let raha
hun tum mere muh par apni choot rakho ( not 69 postion ) n aunty ne aisa
he kiaa n unko aur maza aya a coz unki choot mere full muh main thiii
ab aunty ki siskariyaaaaaaa aur badgai thiii n wo mujhe bolne lagi fuck
me Aarush please Fuck main main mar jaungi n wo rone lagi coz unse ab
bardasht nahi ho raha thaa phir maine apni postion li aur aunty ke dono
pair apne kandhe par rakhe aur strok marne laga ghuupppp

Aunty ko bohat maza araha thaa wo mujhe tight karke pakad rahi thiii n
unke kuch nakhun meri kamar par bhi gad gaye thee maine phir apni
postion change ki and aunty ko stand posse main choda finaly wo waqt AA
he gaya jab aunty ka pani nikalne wala thaa aunty ko main tez speed main
chod raha thaa n aunty bol rahi thiii fast fast be fast aarush m coming
n unki excitment wali siskariyon ko sunkar main bhi pagal ho raha thaa
Aur aunty jhad gai n maine bhi aunty ke sath sath so doston hum subha 6
baje tak nange he lete rahe n rat ko 2 bar chudai bhi ki aj us aunty se
mere kafi acche relation hai mail me at aarush.khan27@gmail.com
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Setting Ko Satisfied Kiya

Doston ye meri sachchi kahani hai ise main aap sab ke sath share
karna chahta hoon. jaise ki aap sab ko waise mujhe bhi iss ki story
padhne ka bahut shauq hai bahut maza aata hai aur isi liye main chahta
hoo k main bhi apni story aapke sath share karon waise mujhe zyada
untiyon ko chodne mein maza aata hai agar kisi ko mere sath sex karna ho
to mujhe email me apna no de ya jahan bhi bulana ho wahan par bula
sakti hai.

Waisi ye kahani ek saal purani hai main ek coaching clases main job
karta ho aur mera kaam batch ka schedule banana hai isi liye mera
contact students ke sath zyada hota hai ek din Sunday ki afternoon class
shuru hone ke bad main apne laptop par blue film dekh raha tha achanak
ek student mere pass aayi aur usne mujhe pucha sir 2 se 6 wala batch
kaun sa hai maine use bataya yahan par tu aise 3 batch chal rahe hai
aapka batch code kya hai par use is bare mein kuch bhi maloom nahi tha
main samajh gaya ye bahut bholi ladki hai lekin hai badi mast gale mein
mangalsutr dekh kar mera man pani pani hogaya aur main sochne laga kitna
lucky hoga iska husband jo itna mast maal biwi ke roop mein ise mila
hai.

Ye sochte hue maine use poocha tumhara aaj kaunsa class hai par use
wo bhi nahi pata tha who bas itna janti thi ke aaj uska class hai maine
use thoda samjhane ki koshish ki ke apni studies ke sath thoda series
hojaye warna koi

Faida nahi ye sun kar wo roone lagi ye dekh kar main to ghabra gaya
darte hue maine use samjhaya ke rona nahi chahiye ye kamzor logon ka
kaam hai aur tum tu ek smart ladki ladki ho, ye sun kar usne mujhe
bataya ki who Rampur se 2 mahine pehle hi shift hue hai Mumbai mein apne
husband aur saas sasur ke sath navi Mumbai kharghar mein rehti hai use
aaj tak kisi ne aise nahi samjhaya jaise maine samjhaya aur itna kehte
hue usne mujhse mera mobile no manga main

Thoda darr gaya but phir himmat karke maine use apna no diya usne
mujhe 2 din ke baad phone karke kaha agar koi achcha job ho main use
batao mere pass ek job tha maine use dosre din milne ko kaha aur who
dusre din meri batayi hui jagah par aagayi aur main use job dikhane apni
bike par bitha kar vashi se koparkhairana le gaya aur use who job mil
gaya kyonke who mere dost ka ek naya office tha isiliye wahan par
jaishree hi pehli employee thi mere dost ne mujhse

Request ki ke main naye job mein jaishree ki madad karo kyonke who
kuch dino ke liye Mumbai se bahar jaraha hai aur maine uski madad karni
shuru ki. Bas kuch hi dino main humdono ek dusre ke kareeb aagaye ek din
mere dost ka call aaya ke who kal aaraha hai ye sunte hi jaishree ka
chehra jaise ruth gaya main samajh gaya ke who zaroor mujhse kuch chahti
hai maine use pucha who khush to hai na usne kuch nahi kaha aur uski
aankhen bhar aayi maine use puchne ki

Koshish ki par who sidhe meri bahon mein aagaye aur mujhse kaha ki
who mere sath aisa kuch karna chahti hai jo zindagi bhar use yaad rahe
ye sunte hi jaise meri pant me kuch khada sa hogaya ye mera lund tha
jaise hi jaishree mujhse lipti mera lund khada hochuka tha jiska ehsaas
use bhi ho gaya aur usne mere honton se apne hont mila diya bas phir kya
tha main to udne laga maine jhat se jakar off ka door band kiya aur ab
main bhi ekdum free hogaya tha maine use kiss karte hue uska bra kapde
ke andar se hi khol diya

Who ab garam hochuki thi maine dheere dheere uske sare kapde utar
diye aur uske pure badan ko chumne laga aisa lagraha tha jaise who pehli
bar apne sajan ke sath sex ka maza le rahi thi uske boobs itne bade
bade the ki 2no haathon se ek bho cover nahi ho paraha tha dheere dheere
usne bhi mere kapde utarne shuru kiye ab main sirf underwear par tha
usne underwear ke upper se hi mere lund ko sehlana shuru kiya maine bhi
uske dono boobs ko khoob zor zor se dabana

Shuru kiya uska gora gora badan jaise tadap raha tha maine apne
hathon ko uski chud par jaise hi rakha usne mujhe ekdum kas kar dabaya
aur maine apni ek ungli uski chud mein dal di who jaise ubal gayi usne
mujhe bahut kaskar smooch karna shuru kiya maine use table par bithaya
aur dheere se apna lund uski chud maine dalne ki koshish ki uska gala
shayad bahut chota tha par thodi mehnat karne ke baad pata chala ki who
virgin thi wah kya qismat thi meri.

Main sochne laga ki najane kaise uske husband ne use ab tak kyon nahi
choda par ye sochkar khushi hui ke achcha hua warna mujhe aisa muaka
nahi milta thodi der use chodne ke baad maine use apna lund muh mein
lene ko kaha pehle usne kaha usne aisa kabhi nahi kiya par thoda manane k
bad who maan gayi shayad wo bhi wasna mein jal rahi thi usne ek ice
cream ki tarah bade maze se mera lund chusna shuru kiya 15 min lund
chusne ke baad use request ki please

Mujhe aise chodo jaise aajtak tumne kisi ko nahi choda main roz har
raat is ki sirf kalpan karti thi ki kujhe bhi koi aisa mile jo meri
jawani ko rang de Bas phir kya tha maine apna lund uski chud mein dala
aur takreeban 12 min tak use zor zor se choda 12 min baad maine use kaha
ab main jhadne wala hoo usne mujhse request ki main apne lund ki malai
uske muh main chodo maine aisa hi kiya phir usne mera lund wapas chusna
shuru kiya main thak chukka tha maine

Mana kiya to usne kaha tumne to maza le liya tum tu jhad gaye lekin
mera paani abtak meri chud mein lehar ki tarah daud raha hai maine bhi
ab soch liya thodi der chusne ke baad mera baburao phir khada hogaya aur
jaise hi maine apna lund uski chud mein dala usne mujhse kaha aaj main
bahut khush hu main bahut dino se is mauke ki talash mein thi mere
husband mujhe satisfied nahi karpate who jaise hi mujhe chote hai najane
kaise unki malai turant hi nikal jati hai aur pure

2 mahine ho gaye main ab tak kunwari thi lekin aaj tumne mujhe loot
liya ab main puri tarah tumhari ho jab bhi tumhara man chahe mujhe call
kardena main hazir hojaongi aur maine phir zor zor se dhakke marne shuru
kiye kyonke ye mera dusra shoot tha takreeban 35 se 38 min ke baad main
phirse jhadne wala tha phir se usne mera pura amrit pe liya phir
takreeban aadha ghanta hum dono ek dusre se chipke rahe who kabhi mere
balon ko sehlati to kabhi mere lund ko choti aur muskurati maine pucha
kiya baat hai to usne kaha mere husband ka lund bahut chota

Aur patla hai aaj main to khush hogayi kabhi maine sapne mein bhi
nahi socha tha ki mere naseeb mein itna bada aur sunder lund bhi hoga
bas uske baad se hum dono jab bhi man karee ek dusre ka mood banate hai
uske paas licence hai isliye ab hum zyada tar lodge mein maza lete hai
kyon doston kaisi lagi meri kahani please mujhe reply zaroor karna aur
agar kisi ko sex ka asli maza lena hai to mujhe anything for
satisfaction@gmail par mail karke apna mobile no ya address bhej de
banda hazir hojaye ga.
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Godi Mein Uthaya & Bedroom Mein Le Gaya

Hello dosto, I am Nav Kumar, 32 years old. Aaj main apni ek
story sunane ja raha hoon. This is my first story in ISS. Yeh ek saal
pehle ki baat hai, main mere ek dost ki shadi mein gaya tha. Shadi Hayat
hotel me thi which is in Delhi. Hum dance ker rahe the tabhi ek lady
wahaan aaker dance karne lagi. She was so much sexy. She was in Saari.
She was 40 years old, 5’5” height thi.

Dance karte hue hum don one ek doosre ko dekha or nazdeek aaker dance
karne lage. Tabhi light chali gai and dance band ho gaya. Jab light
aai to wo mere paas aai and muzhse baatein kerne lagi, she asked me
about my work than I said I am working in a company. Than she asked me
how I survive in salary? Than I said “ Kerna padta kain. Than she said
part time job chahiye? “I said why not’. To jo usne kaha main hairaan
reh gaya, she said “

Would u like to fuck me?’ Main chup tha, than she said ‘kyon kya hua?
Can you fuck me? Are you not able to do it? Maine kaha yes I will do
it. Tab wo boli main iske badle mein tumhe money doongi. Than shared our
contact number and went. After 1 weak I received a call from her. She
called me at her home at 11 am. Main wahaan gaya, tab usne mujhe shake
pine ko diya, than she said that her husband is a business man and uske
paas time hi nahin hota usko pyar kerne ka.

Daily raat ko drink peeker late aata hai and so jata hai. Whenever he
fuck her than wo jaldi finish ho jata hai and wo pyasi rehjati hai.
Than may uske nazdeek gaya and uske haathon per kis kiya, than haathon
ko kis kerte hue uske honto ko ek kis kiya and door hat gaya than she
said kya hua? Tabhi main usko jor se pakad liya and kis kerne laga. Main
uske hoton ko suk ker raha tha and she was moaning uuun uuuunnn wo
saaans bhi nahin le pa rahi thi.

Mainne kareeb 3 minat tak uske honto ko choosa, phir main alag ho
gaya, tab usne kuchh saans li tabhi maine use phis pakad liya and honto
ko choosne laga, ab main uski kamar masal raha tha and uske hips bhi
masal raha , 5 mints ke baad maine use alag kiya. Wo lambi – lambi
saansein le rahi thi. Than she smiled and boli you are too good. Than
main uske peechhe gaye and peechhe se uske boobs ko pakad liye and press
kerne laga.

Phir maine sari ke upper se hi uski choot per ek haath rakhker dabane
laga or dusre haath se uske boobs daba raha tha or usko kis ker raha
tha. Phir maine uski saari ko utar diya. Phir wo meri taraf ghoom gai.
Tab usne meri t-shirt utar di then maine uske blouse ko khol diya, she
was in pink bra. Tight boobs the. Phir uska petilot khol diya and wo
mujhse lipat gai zor se. kuchh der baad maine uski bra utar di, uske
boobs dekh ker main happy ho gaya.

Than I maine uski panty utar di, uski choot per koi baal nahin tha,
coot ek dam gori thi, maine usko kis kiya to wo sharma gai tabhi maine
apne kapde bhi utar diye, ab main uske samne naga tha than usne mere
lund ko dekha and she smiled and said thanks jot um mujhe chodne ke liye
maan gaye.

Maine use godi mein uthaya and bedroom mein le gaya or use leta diya.
She said aaj mujhe itna chodo ki main mer jaaoon. Tab main uski choot
dekhne laga and uski choot per kis kiya and usko chatne laga. Main apni
jheebh se usko chod raha tha and wo siskiyaan le rahi thi seeee aahhh
uuuuuh mmaaa, fast aahhhh uuuhhh mmaaaa karo ahhh, tabhi usne pani chhod
diya and main use pi gaya.

Than she kissed on my dick and use suck kerne lagi, mera lund uske
muh mein nahih jar aha tha, uske daant lag rahe the than she said ye
kaafi bada hai, wo bas chati rahi than I said koi baat nahin. Tabhi
maine usko seedha leta diya and uski taangein apne kandhon per rakh li
and apna lund pakad ker uski choot per ragadne gala, wo siskiyan lene
lagi aaah sssseee. Wo boli ladi se mujhe chod do

Daalo na than maine lund uski choot ke chhed per laga ker jhatka diya
to wo chilla di, aahhhhh derd hota hai, derd hota hai, lekin maine uski
nahin suni and ek or jhatka diya, noe mera 2 inch lund ander chala gaya
or uske aansoo nikan aaye. Main ruk gaya kuch der baad maine usko pakda
or ezk zor ka jhatka diya ab mera 5” lund uski choot mein tha, wo
chilla rahi thai or main jhatke de raha tha.

Phir wo maze leni lagi and dheere dheere gaand uthane lagi, tabhi
main eek or tez jhatka diya ab mere pura lund uski choot mein tha. And
wo ro rahi thi and smile bhi de rahi thi she was so happy tab maine
dhere dhere chodna shuru kiya tabhi uska pani chhot gaya. She said mera
ho gaya. Than I said lekin mera nahin hua, wo boli baad men kerte hain
than I said no and dheere dhere dhakke marne laga uski chook abhi bhi
tight thi,

Than main zor zor se chodne laga and wo bhi mera saath dene lagi,
than maine uski ek tang kandhe se utar ker chodne lage tha doosi tang
utarker chodne laga. She was moaning aahhhh uhhh yyyees aahhh oohhh ye
chodo mujhe or chodo ahhhhhhh. Than maine usko ulta kiya or kutiya ki
tarah chodne laga than maine usko godi mein betha ker choda, wok hush
thi than maine usko leta diya and uski missionery style mein chodne lage
main uske boobs bhi choos raha tha.

Haumein paseene bhi aa rahe the A/c room mein. Than main usko zor zor
se chodne laga. Main apna pura lund bahar nikal ker zor se choot mein
dal raha tha. Than maine usko zor se pakad liya and usne bhi and tabhi
hum don one ek saath paani chhod diya. Hum dono kuchh der tak isi
tarhaan chipke rahe. Hum bahot khush tha, bahot maza aaya tha. Us din
Maine usko Bathroom mein, bed per, dyning table pe, drowing room mein
choda. Us din maine usko 5 baar choda lekin is chudai mein wo 12 baar
zhhdi I mean uska pani nikla tha.

Wo bahut thai gait hi. Boli ab bas karo nahin to main behosh ho
jaungi. Than maine kapde pehne or jane laga to usne mujhe 5000 Rs. Diye
and said I am so much happy. Tumne aaj mujhe zindgi ber ka maza de diya
hai. Then, I kissed her tightly and went. Phir maine usko kai baar
choda, din mein raat mein, hotel mein bhi. Now she has gone to USA. To
dosto ye thi ek story of my life leter I will write more real sories.
Please tel me if you like my story on my email id – prem.pujari2010@yahoo.com
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Chudai Ka Dard

Hi friends mera nam Jasvinder hai may ISS koch time pehle hi read
karna sur kiya hai isliye mene sucha kanyu na may bi apni story aap
share karu pehle may apni body ke bare may bata hun height 5.10 well
shaped body or smart bhi tik 2 hun mera apna business tha kisi karn mere
business may loose hu gaya or mere ko job karni padi job thi marketig
ki un dino hamare yaha relaince pco ka kam tha to jinke pass may job
karta tha buh bhot badiya log the mene unke liye

Din rat mehnt ki or kam badiya chal pada kam jeda hone ke karn unko
staf rakhna pada staf may do girls or 5 boys apoint karne pade boys ab
marketing karte or evening may mere ko report karte or ek girl [ pooja ]
computer par deta entry karti or 2 girl pani or tea pilati pooja dekhne
may bahut smart thi oska figer 32 30 34 hoga or buh tight salvar or
kamij dalti thi mera osko chudne ka bahut dill karta but uske bihev se
buh esi ladki nahi lagti thi ke bu jaldi fas jayegi ek

Din office may koi nahi tha tu ek dum pooja ko peat may pain huaa
mene forne apne boos ko phone kra or may or mere boos pooja ko hospital
legye tub docter ne use admit kar liya or kaha morning may pooja ke kuch
test hone hai tab mere boos ne pooja ke ghar walo ko phone kar diya ki
pooja ko hospitalaes karna pada hai tu pooja mother ne kaha ki may tu
out off sate gai hun or may itni jaldi nahi aa paungi tu mere boos ne
mere ko pooja ke paas rukne ko kaha mere boos ke

Jane ke bad thori der may nurse aai or boli ki aapko shift karna hoga
mene pucha kayu tu boli koi sahab aapke liye private room book kar ge
hai mene kaha tik hai fir tohri der bad pooja ko thra hosh aaya tu bo
boli ke sir aap yanha tu mene kaha ke boos mere ko bole ke tere ko yanha
rukna padega koyuki pooja ke mother out off sate gaye tu pooja boli han
mere mother gai hai 2 3 din may aayegi fir boli sir aap bora na mane tu
nurse ko bola doge mene kaha kanyu nahi mene

Nurse ko bolaya tu pooja ne kaha mere ko bathrum jana hai tu nurse
boli madum aap sir ko bhi bol sakti thi kanyu ki hame or bi marij dekhne
hote hai then nurse ne pooja bathrum kra diya or chli gai mene pooja ko
kaha ke pooja ye kam tu tum mere ko bahi bata sakti thi pooja ne apna
chehra niche kar liya or kuch nahi boli mene kaha ki pooja bura mat mana
mere ko aggar boos tumhare pass chod gaye hai tu jarur unhone sahi
fesla liya hoga sham ke3 ya4 baje pooja ne mere

Ko kaha sir mere ko kuch kahana hai tu may bola ke kya kahana hai tu
boli kuch bhi may hospital se bahr aaya or fal lay aaya or hamre bich
bate hone lagi ab pooja mere sath kafi gul mil gai rat ka kana kane ke
bad pooja ne kaha mere ko bathroom jana hai tu mene use sahara dete hue
le gaya bola jab tum kar lo tu mere ko aavaj dedena usne esa hi kara ab
mere dil may pooja ke bare may ajiv se khyal aa rhe the mene pooja ko
sote time gor se dekne laga pooja mere is

Tarh se dekne par boli sir kaya bat hai koi problum hai mene kaha nai
tu bo sone lagi or may use dekh raha jab mere ko yakin ho gaya ki bu so
gai hai tab may apni seat se utha or bed ke pass ja kar pooja ke sir
par apna hath pehrne laga pooja ko kuch bi fil nahi hua or mere sase tej
ho gai or lund bhi khada ho gaya mene himute karke pooja ke galo par ek
kiss kar di jiske karn bu hili may thori der ruk gaya but uske bad mene
pooja ke mame pe halka sa hand fera tu use kuch na huya

Ab meri himat or bad gai mene uske mame ko halka 2 dabana sur kar
diya pooja ke sharir may ab harkt hone lagi or bu soi rahi mene apna
hand ap pooja ke peat par ghumane laga ab pooja may kuch halchal hone
lagi or oski sanse bhi tej hone lagi thi kaya batau dosto jab uski sanse
tej hui to uske mame upper nichec ho rahe the mere se raha nahi ja raha
mene pooja ke lips par ek kiss kar di or bu uth gai or may tu dar gaya
ke ab pata nahi kaya kregi but pooja ne ek halki si

Simle pass kar di mene kuch nahi sucha or pooja par tut para pooja
boli sir aaram se may bade dino se aapke bare may such rahi thi but keh
nahi pai ab may bhi bed par aa gya or pooja boli sir pehle door close
kar do mene jaldi se door close kiya bapis bed par aa gaya mene pooja ko
halka sa sahara dete hue bed par bitah diya or use kiss karne laga mera
ek hand pooja ke mamme par or 2nd uske peat tha ab pooja bhi poore josh
may thi usne meri tshirt utar di or mere se lipt gai

Mene bi pooja ki kamij or bra utar di or use kiss karne laga kabi
galo pe tu kabi peat pe tu kabhi uske golabi lips ko chusta ab mene apne
tung uske muh may dal di or uska salviya pine laga fir mene apna hand
pooja kie peat se hote huye thing par lay gaya or dhire se salvar may
dal diya uski chut gili ho gai thi or ek bhi bal nahi tha mene pooja ki
salvar bhi utar di usne pink clours ki penti pehn rakhi thi mene panti
bhi utar di ab pooja mere same bikul nagi thi mene pooja ko

Upper se niche tak dekha tu boli raja ye sub tumhara hai mene apni ek
finger ko chut may dala tu pooja jor 2 se siskiya lene lagi uski chut
pori gili hu gai thi ab uske muh se aa aa un ah aa ki aavaje ane lagi
mene pooja ka ek hand apne lund par rakha ro pooja mere lund ko sehlane
lagi or boli raja mere debta ko kayu ked kar rkha hai inke darshn karva
du mene apni paint or under ware bhi utar di mere tane huye lund ko
deakh kar herran ho gai or usski eys bilkul red ho gai thi

Mene pooja ko bed par leta diya or uski chut ko chatne laga or apne
hand se pooja ke mamme dabane laga 2 3 minute may pooja ne apne jisumko
tight kar liya 5 10 sec may dili par gai or jahr gai mene poooja ki chut
ka sara rus pi liya ab mene pooja se kaha ki mere lund ko apne muh may
le buh pehle tu mana karne lagi but mere fours karne par mere lund ke
tapa ko kiss karte huye muh may legi yaro may tu ab satme aasman par tha
mene pooja ko uske sie se pakda or uske

Muh ko chudne laga thori der bad mera maal nikle bala tha mene pooja
se kaha tu buh mere lund ko is trh se chusne lagi jese ki koi lalipoop
chusta ho or may 2 3 minute may jar gaya pooja ne mera sara rus pi liya
or hum dono ek dusre ko lips kiss krne lage thori der bad mene pooja ki
chut ko dobra chatna sur kIa mera lund fir kahda ho gya pooja boli raja
aub or nahi saha jata meri chut iss lund ke liye tadp rahi hai mene bhi
der na karte huye apne lund ko pooja ki chut ke muh

Par lagate hue ander dalne laga tu chut mere ko tight lagi or lund
ander jane may dikat peda ho rahoi thi mene apna tuhk nikala or chut or
lund par lgya fir try kiya tu lund ka topa hi ander gaya or pooja boli
please sir isse bahar nokal lo yeh mere se nahi hoga mene pooja ko payar
kate huye kaha rani tumhe ek bar dard hoga fir tum uchal 2 kar iss lund
ko chut may logi thora sabar karo or mene fir tohra jor lagya or lund
or ander chla gaya pooja ke muh se chikh nikal gai mene jandi

Se apne lips pooja ke lips par rkhte huye unhe chusne laga thori der
uske upper hi leta raha fir may dhire 2 lund ko ander bahr karne laga ab
pooja ka dard kum ho gaya or mene thora jor lagaya tu lund ander chala
gaya ab may pooja ke mamme ke nipple ko muh may leker chusta ro unhe
dabta or shot lgata ab pooja bhi mera sath anpni gand uchal 2 kar dene
lagi ab mene apni speed bada di or pooja ke muh se aa un ahah ki aavaje
aani suru ho gai pooja ne mere se kaha raja or jor se chodo mere ko may
jahre bali hun mene apni seed or tej kar di or thori der bad

Pooja jar gai ab may bhi jarne bala tha mene pooja ko dogy staly may
kiya or jor jor se pooja ko chudne laga pooja fir mere sathek bar ur jar
gai mera jahrne ke bad yuhi pooja ke upper pada raha pooja ne mere
chehre ko apne hand may lete huye mre lips ko kiss kiya or boli tum
bahut nice person ho fir hum alg ho gaye or pooja ne apne kapde dall
liye tu dosto kesi lagi meri story mere ko mail jaror karna may aapki
mail ka intjar karoga me please mail me at jasi8084@yahoo.com
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