Sunday 22 February 2015

सिलसिला 3

 फिर अगला आधा घंटा यूँ ही गुजर गया.

ज़रीन जब जब भी मेरे पास आई, हमेशा उसे मैंने अपनी नज़रों में झांकते हुए पाया.

जहाज की लाइट्स अब मद्धिम कर दी गई थी.

इस बीच मैंने आयशा को कई बार देखा पर हर बार बुरी तरह इग्नोर करता रहा. वो इस उपेक्षा से इतनी आहत हो गई कि खुद उसने पहल करते हुए मुझसे बात करनी शुरू करदी.

'एक्सक्यूज-मी, आप................दुबई जा रहे हैं या वहां से ट्रांसिट कर रहे हैं.'........थोड़े संकोच से पूछा उसने.

'दुबई जा रहा हूँ'.........मैंने बड़े ही ठन्डे स्वर में बोला.

जब मेरी और से उसे कोई गर्मजोशी महसूस नहीं हुई तो वो फिर चुप हो गई.

मैं आशंकित हो गया कि कहीं ऐसा न हो कि अब ये कोई बात ही ना करे. परन्तु अब मैं अकड़ ही गया हूँ तो पीछे थोड़े ही हट सकता हूँ इसलिए भाव खाते रहना मेरी मजबूरी थी.

तभी अचानक उसके मुंह से ‘आउच’ की आवाज़ आई....



तभी अचानक उसके मुंह से ‘आउच’ की आवाज़ आई. देखा तो वो अपनी पीठ के ऊपर टॉप को मुट्ठी में दबाये हुए मेरी और असहाय होकर देख रही थी.

उसने याचना की....‘अरे यार थोड़ी हेल्प तो करो ना, शायद कोई बग है अंदर, बहुत जोर से काटा. मुठ्ठी में पकड़ा तो है. जरा पीछे टॉप के अन्दर चेक करके उसे बाहर निकाल दीजिये ना.......... प्लीज़.’

मैंने भाव खाना जारी रखा.......'क्या बोल रही हैं आप........ मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ........... हाँ रुकिए मैं एयर-होस्टेस को बुलवाता हूँ.'

'अरे एक सेकण्ड का तो काम है.......जल्दी ......जल्दी से आप अन्दर हाथ डालकर मुठ्ठी चेक कर लो. करके मुझे उससे मुक्ति दिलाओ............प्लीज़.'

अब दुबारा मना करने की तो बनती ही नहीं थी तो मैं बोला...........'चलो ठीक है, मैं कोशिश करता हूँ. बताओ, कैसे करना है.'

'एक हाथ पीछे से मेरे टॉप के अन्दर डालो और मुठ्ठी तक लाओ और फिर टॉप उठा कर मेरी मुठ्ठी को खोलो और उस कीड़े को निकाल दो........ सिम्पल.'

मेरे तो मज़े हो गए क्योंकि उसके शरीर को फ़ोकट ही छूने मिल रहा था.

मैंने अपना एक हाथ टॉप के अन्दर डाला. क्या मुलायम और चिकनी पीठ थी. धीरे धीरे मैं पीठ सहलाते हुए हथेली ऊपर बढाता रहा.

जैसे ही अहसास हुआ कि इस वक्त मैं बौलीवूड की एक नामचीन हॉट और सेक्सी अदाकारा की पीठ सहला रहा हूँ तो मेरे रोमांच की सीमा ना रही और मेरे पप्पू सेठ ने अन्दर ही अन्दर अपना मुंह उठाना शुरू कर दिया.

तभी मेरी उंगली किसी अवरोध से टकराई. ये उसके ब्रा का स्ट्रेप था. मैं थोड़ी देर तक तो उसी पर ही हाथ फेरता रहा. हीरोइन की ब्रा है.......मज़ा आ रहा था.

फिर सीधे सीधे उसकी मुठ्ठी को थामा और दुसरे हाथ से टॉप को थोड़ा ऊपर किया. अब उसकी गुदाज़ पीठ मेरे सामने चमकने लगी. चिकनी और सपाट; मांसल और मादक.

'चलिए, मुठ्ठी खोलिए धीरे से, देखता हूँ क्या है.’..........मैंने कहा. और फिर उसने अपनी मुठ्ठी खोल दी. मैंने ध्यान से चेक किया लेकिन उसमे कुछ भी नहीं था.

'कहाँ है वो कीड़ा, ये तो बिलकुल खाली है. '

'ऐसा कैसे हो सकता है, मुझे तो बहुत जोर से काटा था. तुम पीठ पर चेक तो करो जरा. '

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