Sunday 22 February 2015

सिलसिला 1

 रात के दो बज चुके थे. मैं, याने कि ‘अभिसार’, मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थित एमिरेट्स के लाउन्ज में प्रवेश कर रहा था.


मेरी दुबई जाने वाली फ्लाईट ४.३० बजे थी तो अभी मुझे डेड़-दो घंटे यहीं पर इंतज़ार करना था.


अन्दर एक सोफे पर सिर्फ दो युवतियां बैठी थी. मैं उनके सामने जाकर बैठ गया.


उनके चेहरे पर गौर किया तो पाया कि वे मशहूर हीरोइनें प्रियंका और परिणिति चोपड़ा हैं.


मैं बहुत खुश हो गया और जैसे ही उन्होंने मेरी तरफ देखा मैंने उन्हें हाथ हिलाकर हाय कहा.


लेकिन ये क्या, मुझे जवाब देना तो दूर, वे दोनों तो वहाँ से उठ कर ही चलती बनी और अंदर प्रायवेट केबिन की ओर चली गईं.


मुझे काटो तो खून नहीं. यार, इस तरह सीधे सीधे बेइज्जत नहीं करना चाहिए था. मुझे बहुत खराब लगा.


मुझे जब वहां घुटन सी होने लगी तो मैं सीधा बोर्डिंग गेट पर आ गया.
४ बजे मैं प्लेन के अन्दर अपनी बिजनेस क्लास की सीट पर था. गर्मियों के आफ-सीज़न के कारण हमारी श्रेणी में कोई भी मुसाफिर नहीं था.


एक बहुत ही हसीन अरबी एयर-होस्टेस मेरे पास आई और बड़े ही प्यार से मेरा अभिवादन किया. उसके कोट पर लगी पट्टी से पता चला कि उसका नाम 'ज़रीन' है.


वो मुझे इतनी आकर्षक और 'गर्ल नेक्स्ट डोर' लगी कि मैं उसके दुबारा आने का इंतजार करने लगा. जब वो लाइम ज्यूस लेकर आई तो मैं उससे कुछ कुछ पूछने लगा.


दरअसल मैं उसे बातों में लगाकर उसका सामीप्य पाना चाह रहा था और वो भी इरिटेट होने के बजाय पुरे इंटेरेस्ट के साथ मुझसे बात करने में लगी थी.


तभी गेट पर किसी के आने की आहट पाकर वो मुझे एक्सक्यूज़-मी कहकर उसे अटेंड करने चली गई.


तक़रीबन २ मिनट के बाद वो किसी आकर्षक युवती को मेरे पास की सीट पर छोड़ने आई और उससे हैण्ड बैग लेकर उसे ऊपर बाक्स में रख दिया और फिर धीरे धीरे उससे कुछ बातें करके वो चली गई.


हाँ जाते जाते एक बहुत ही मनमोहक मुस्कराहट मुझे पास कर गयी. मैं तो उसके अटेंशन से फूला नहीं समा रहा था.
फिर एक तिरछी निगाह पड़ोसन के चेहरे पर डाली तो मैं धक्क रह गया. मैंने अपने सीने पर हाथ रखकर चेक किया कि कहीं दिल ने धडकना बंद तो नहीं कर दिया. वो वो मेरी सबसे फेवरेट हिरोइनों में से एक 'आयशा टाकिया' थी.

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